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________________ जैन धर्म एवं दर्शन-525 जैन- आचार मीमांसा-57 परिवेश के प्रति समायोजन नैतिक जीवन का आवश्यक अंग माना जाता है। स्पेन्सर के शब्दों में सभी बुराइयों का उत्स देह का परिवेश के अनुरूप न होना है। स्पेन्सर ने परिवेश के साथ अनुरूपता या समायोजन को नैतिक जीवन का साध्य और शुभाशुभ का प्रतिमान-दोनों ही माना है। जैन दर्शन का समत्वयोग इसी समायोजन की प्रक्रिया को अभिव्यक्त करता है, यद्यपि जैन-दर्शन में समायोजन का अर्थ आन्तरिक समत्व से है। उसकी दृष्टि में बाह्य समायोजन इतना महत्वपूर्ण नहीं है। उसमें समायोजन का अर्थ चेतना का स्वस्वभाव के अनुरूप होना है। इस प्रकार, विकासवाद और जैन दर्शन-दोनों ही समायोजन को स्वीकार करते हैं, लेकिन जहाँ विकासवाद व्यक्ति और परिवेश के मध्य समायोजन को महत्व देता है, वहाँ जैन दर्शन मनोवृत्तियों और स्वस्वभाव के मध्य समायोजन को आवश्यक मानता है। विकासवाद में समायोजन जीवनरक्षण के लिए है, जबकि जैन दर्शन में समायोजन. आत्मा (स्वस्वभाव) के रक्षण के लिए हैं। विकासवाद का तीसरा प्रत्यय 'विकास की प्रक्रिया में सहभागी होना' है। जो कर्म विकास को अवरुद्ध करते हैं और उसमें बाधक बनते हैं, वे अनैतिक हैं और जो कर्म विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं, वे नैतिक हैं। जैन दर्शन में विकास कां प्रत्यय तो आया है, लेकिन भौतिक विकास * का जो रूप विकासवाद में मान्य है, वह जैन दर्शन में उपलब्ध नहीं है। जैन दर्शन आत्मा के आध्यात्मिक विकास पर जोर देता है और इस दृष्टि से वह अवश्य ही उन कर्मों को नैतिक मानता है, जो आत्मविकास में सहायक हैं ओर उन कर्मों को अनैतिक मानता है, जो आत्मिक शक्तियों के विकास में बाधक हैं। जैन दर्शन के अनुसार विकास का सर्वोच्च रूप आत्मा की ज्ञानात्मक, अनुभूत्यात्मक और संकल्पात्मक शक्तियों की पूर्णता की स्थिति है। जब आत्मा में ये शक्तियाँ पूर्णतया प्रकट हो जाती हैं और उन पर कोई आवरण या बाधकता नहीं होती, तभी नैतिक-पूर्णता प्राप्त होती है। इस प्रकार, जैन दर्शन विकास के प्रत्यय को स्वीकार करते हुए * भी विकासवाद से थोड़ा भिन्न है। ... स्पेन्सर का विकासवादी दर्शन और जैन दर्शन पुनः एक स्थान पर
SR No.004418
Book TitleJain Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages288
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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