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________________ जैन धर्म एवं दर्शन-507 जैन- आचार मीमांसा-39 क्रियाप्रेरक और सुधारक भी है और शुद्ध ज्ञानमय होने के कारण वह कर्मों के औचित्य ओर अनौचित्य का विवेक भी है और शुद्ध ज्ञानमय होने के कारण वह कर्मों के औचित्य और अनौचित्य का विवेक भी है तथा वह सत्कर्म और सुख में एवं असत्कर्म और दुःख में एक निश्चित सम्बन्ध भी देखता है / - बटलर के उपर्युक्त दृष्टिकोण की जैन दर्शन से तुलना करने पर कहा जा सकता है कि ज्ञानमय आत्मा ही नैतिक जीवन का अन्तिम निर्णायक तत्त्व है। जैन दार्शनिकों ने इसे आवश्यक माना है कि नैतिक विवेक करते समय आत्मा को राग और द्वेष की भावनाओं से ऊपर उठा हुआ होना चाहिए। राग और द्वेष से ऊपर उठी हुई आत्मा जहाँ एक ओर सन्मार्ग की प्रेरक है, वहीं यथार्थ नैतिक निर्णय करने में सक्षम भी है। राग और द्वेष की वृत्तियों से अलग हटकर आत्मा जब कोई भी विवेकपूर्ण निर्णय करता है, अथवा कर्म करता है, तो वह शुभ होता है। इसके विपरीत, कषाय या राग-द्वेष से प्रभावित होकर कोई निर्णय करता है, तो वह अशुभ होता है। जैन दार्शनिकों ने अन्तरात्मा में विवेक और पुरुषार्थ (वीर्य)- दोनों को स्वीकार किया है जो कि बटलर की शुद्ध और सर्वाधिकारिता की मान्यता के समान है। जैन दर्शन भी बठलर के समान आत्मा के ज्ञानात्मक तथा भावात्मक (दर्शन)- दोनों ही पक्ष स्वीकार करता है, जो पारिभाषिक शब्दावली में ज्ञानोपयोग और दर्शनोपयोग कहे जाते हैं। . बटलर ने मानवप्रकृति के पूर्वोक्त चार तत्वों में एक आनुपूर्वी को स्वीकार किया है, जिसमें सबसे नीचे वासनाएँ हैं और सबसे ऊपर अन्तरात्मा है। जैसे पशुबल बुद्धिबल के अधीन हो जाता है, उसी प्रकार वासनाबल, स्वप्रेम और परहित अन्तरात्मा के अधीन हो जाते हैं। जैन परम्परा के अनुसार भी नैतिक विकास की दिशा में वासनाबल क्षीण होता जाता है और कर्मों का निर्धारण शुद्ध राग-द्वेष से रहित आत्मा के द्वारा होने लगता है। बटलर की अन्तरात्मा ईश्वरीय-बुद्धि के रूप में जैन-परम्परा की वीतराग आत्मा से तुलनीय है। इस प्रकार, बटलर के नैतिक अन्तरात्मावाद और जैन परम्परा में बहुत कुछ साम्य खोजा जा सकता है। .. फिर भी, बटलर के सिद्धान्त की मूलभूत कमजोरी यह है कि
SR No.004418
Book TitleJain Aachar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages288
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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