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________________ अनिट्कारिका विवरण, उणादिनाममाला, समासप्रकरण, षट्कारकविवरण, शब्दार्थचंद्रिकोद्धार, रूचादिगणविवरण, उणादिगणसूत्र, उणादिगणसूत्रवृत्ति, विश्रांतविद्याधरन्यास, पदव्यवस्थाकारिकाटीका, कातंत्रव्याकरण, दुगर्मपदप्रबोधटीका, दौर्गसिहीवृत्ति, कातंत्रोत्तरव्याकरण, कातंत्रविस्तर, बालबोधव्याकरण, कातंत्रदीपकवृत्ति, कातंत्रभूषण, वृत्तित्रयनिबंध, कातंत्रवृत्ति-पंजिका, कातंत्ररूपमाला, लघुवृत्ति, कातंत्रविभ्रमटीका, सारस्वतव्याकरण, सारस्वतमंडन, यशोनंदिनी, विद्वचिंतामणि, दीपिका, सारस्वतरूपमाला, क्रियाचंद्रिका, रूपरत्नमाला, धातुपाठ, धातुतरंगिणीवृत्ति, सुबोधिका, प्रक्रियावृत्तिटीका, चंद्रिका, पंचसंधि-बालावबोध, भाषाटीका, न्यायरत्नावली, पंचसंधिटीका, शब्दप्रक्रियासाधनी, सरलाभाषाटीका, सिद्धांतचंद्रिका-व्याकरण, सिद्धांतचंद्रिकाटीका, सुबोधिनीवृत्ति, अनिट्कारिका -अवचूरि, अनिट् कारिका एवं उसकी स्वोपज्ञवृत्ति, भूधातुवृत्ति, मुग्धावबोधवौक्तिक, बालशिक्षा, वाक्यप्रकाश, उक्तिरत्नाकर, उक्तिप्रत्यय, उक्तिव्याकरण, प्राकृत व्याकरण, प्राकृतलक्षण, प्राकृतलक्षणवृत्ति, स्वयंभू व्याकरण, सिद्धहे मचन्द्र शब्दानु शासन प्राकृतव्याकरण, सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन (प्राकृतव्याकरण) वृत्ति, हैमदीपिका, दीपिका, प्राकृत दीपिका, हैमप्राकृतढुंढिका, प्राकृतप्रबोध, प्राकृतव्याकृति, दोधकवृत्ति, हैमदोधकार्थ, प्राकृतशब्दानुशासन, प्राकृतशब्दानुशासन वृत्ति, प्राकृत पद्यव्याकरण, औदार्यचिंतामणि, अर्धमागधी व्याकरण आदि। संस्कृत कोश साहित्य सम्बन्धी जैनाचार्यो की कृतियाँ ___ व्याकरण के पश्चात् कोश साहित्य का क्रम आता है, जैनाचार्यो की कोष सम्बन्धी कृतियाँ निम्न है- धनंजयनाममाला, धनंजयनाममालाभाष्य, निघंटसमय, अनेकार्थनाममाला, अनेकार्थनाममालाटीका, अभिधानचिंता- मणिनाममाला, अभिधानचिंतामणिवृत्ति, अभिधानचिंतामणिटीका, अभिधानचिंता मणिसारोद्धार, अभिधानचिंतामणि व्युत्पत्तिरत्नाकर, अभिधानचिंतामणिअवचूरि, अभिधानचिंतामणि रत्नप्रभा, अभिधानचिंतामणि-बीजक, अभिधानचिंता मणिनाममाला-प्रतीकावली, अनेकार्थसंग्रह, अनेकार्थसंग्रहटीका, निघंटुशेष, निघटुशेषटीका, देशीशब्दसंग्रह, शिलोच्छकोश, शिलोच्छकोशटीका, नामकोश, शब्दचंद्रिका, सुंदरप्रकाश शब्दार्णव, शब्दभेदनाममाला, शब्दभेदनाममालावृत्ति, नामसंग्रह, शारदीयनाममाला, शब्दरत्नाकर, अव्ययैकाक्षरनाममाला, [132]
SR No.004417
Book TitlePrakrit evam Sanskrit Sahitya ke Jain Aalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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