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________________ आगम निबंधमाला का त्यों छपाकर रख देना किसी भी प्रकार की समझदारी या बुद्धिमानी नहीं कही जा सकती। निबंध-३४ सात पिडेषणाओं का खुलाशा - गोचरी के आहार आदि से संबंधित सात प्रकार के अभिग्रहों को यहाँ सात पिडेषणा की संज्ञा से सूचित किया है। जिनका भावार्थ इस प्रकार है-(१) दाता का हाथ या पात्र किसी भी पदार्थ से लिप्त नहीं हो उससे भिक्षा ग्रहण करना, अन्यथा नहीं लेना / गोचरी देने के बाद दाता को पानी की विराधना नहीं करनी पडे, हाथ वगैरह धोना नहीं पडे, ऐसा विवेक रखकर लेना / (2) किसी भी खाद्य पदार्थ से हाथ आदि लिप्त हो खरडे हुए हों तो उनसे ही भिक्षा लेना अन्यथा नहीं लेना / (3) जिन बर्तनों में आहार बना है या बनाकर व्यवस्थित रखा है उन्हीं में से सीधा दिया जाय, वैसा मिले तो लेना, अन्यथा नहीं लेना। (4) दालिया, भंगडा, खाखरा आदि जिन पदार्थों से पात्र में कोइ लेप नहीं लगे, ऐसे पदार्थ मिले तो लेना, अन्यथा नहीं लेना / (5) भोजन जिन मौलिक बर्तनों में रखा हो, उसमें से अन्य बर्तन में परोसने आदि किसी प्रयोजन से निकाला हो, कहीं ले जाने के लिये टीपन आदि में या अन्य छोटे बर्तन में डाला हो, वैसा मिले तो लेना, अन्य न लेना / (6) हाथ में या थाली में अपने या अन्य के लिये परोसा गया, खाने के लिये ले लिया, उस आहार में से यदि मिले तो लेना, नहीं मिले तो नहीं लेना / (7) बला-जला, बचा-खुचा, देखते ही जिसे सामान्य जन लेना या खाना नहीं चाहे ऐसा अमनोज्ञ, फेंकने जैसा आहार यदि मिले, कोई दाता देना चाहे तो लेना, अन्य अच्छा मनोज्ञ आहार नहीं लेना / अंत में इन सभी पडिमाओं के साधकों को शिक्षा दी गई है कि कोई भी कौन सी भी पडिमा(अभिग्रह) अपनी क्षमता अनुसार धारण करे किंतु अपने को अच्छा या ऊँचा और दूसरों को हल्का या निम्न समझने का प्रयत्न नहीं करे / जिनको जो समाधि और उत्साह हो वह करते हैं, हम सभी जिनाज्ञा के अनुसार अपनी अपनी समाधि भाव अनुसार करते हैं, ऐसा समझे, माने अर्थात् अपना उत्कर्ष और
SR No.004414
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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