SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 64
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम निबंधमाला स्कंध के छटे पात्रेषणा अध्ययन में बताई गई है / वहाँ भी गृहस्थ को पुन: लौटाना या सचित्त पानी में स्वयं डालना आदि विधि बताई है / निबंध-३३ मद्यमांस के आहार के पाठों की विचारणा प्रश्न-मद्य और मांस के आहार को नरक का कारण बताया गया है फिर भी शास्त्र में जगह-जगह साधु के लिये ऐसे विषय के पाठ क्यों आते हैं ? उत्तर- दशवैकालिक सत्र में बताया गया है कि साधु का आहार मद्य मांस और मत्स्य से रहित होता है और वे बारंबार विगयों का भी त्याग करके लूखा आहार करते हैं / ठाणांग सूत्र में मांसाहार और मद्यपान नरकायु बंध के कारण कहे गये हैं / इनका सेवन जैन साधु तो क्या जैन श्रावक भी नहीं करते / जो गोचरी के कुल कहे गये हैं उसमें भी दो शब्द विशेषण रूप में लगाये हैं-- अजुगुप्सित और अगर्हित / अगर्हित का मतलब है अनिदित, प्रतिष्ठित / जहाँ मांसाहार किया जाता है, पकाया जाता है, वे लोक में जुगुप्सित कुल नहीं हो तो भी निन्दित गर्हित कुल गिने जाते हैं / वैसे मांसाहारी घरों में गोचरी जाना भी वर्जित है ।अत: साधु के गोचरी संबधी या आहार संबंधी पाठों में मांस विषयक पाठ उपयुक्त नहीं है / जो भी पाठ उपलब्ध हैं उनमें लेखनकाल के बाद परंपरा में हुई विकृति का या दुर्मानस का प्रभाव है, ऐसा समझना चाहिये / इन स्थलों का संशोधन होना आवश्यक होते हुए भी एकांगी दृष्टि के कारण ये पाठ प्रक्षिप्त है, ऐसा मान कर भी धकाया जाता है तथा कई आचार्य शब्द कोषों का आलंबन लेकर वनस्पतिपरक अर्थ करते हैं / आचारांग सूत्र में ऐसे आपत्ति जनक पाठ चार जगह हैं जो साधु की गोचरी से संबंध रखते हैं / वे इस अध्ययन के चौथे-आठवें नवमें उद्देशक में और दशवें उद्देशक में हैं / साध्वाचार के प्रकरण में और साध के गोचरी जाने के घरों के प्रसंग में मांसाहार का कथन शास्त्र संगत नहीं हो सकता है। भगवती सूत्र में स्वयं भगवान महावीर के प्रकरण में, निशीथ सूत्र में और सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र में ऐसे आपत्तिजनक
SR No.004414
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy