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________________ आगम निबंधमाला तक प्रदेशोदय भी नहीं होगा उसके बाद उस देव के प्रदेशोदय अशाता वेदनीय का होता रहेगा किंतु अशाता का विपाक उदय 33 सागर की उम्र पूर्ण करने के बाद मनुष्य बनने के बाद ही होगा। अनुत्तर देवों के अशाता का प्रसंग संयोग नहीं होने से विपाकोदय पूरे भव तक नहीं होता है / प्रदेशोदय से वे कर्म पुद्गल क्षीण हो जाते. हैं / उस 33 सागर के प्रदेशोदय को अबाधाकाल नहीं कहा जाता। निबंध-११९ तमस्काय एक पानी परिणाम तमस्काय पानी का परिणाम है पानी स्वरूप है / लोक में पानी के विभिन्न परिणाम हैं / यथा- (1) अनेक प्रकार के बादल रूप में परिणत / जिसमें कई बादल मूसलधार बरसते, कई रिमझिम बरसते, कई बारीक फुहारें रूप में उड़ने जैसे बरसते / (2) धूअर, कोहरा रूप पानी / (3) गडे, हिमपात रूप पानी, बर्फ की दिवाल, चट्टान रूप पर्वतीय पानी / (4) ओस-झांकल / (5) लवण शिखा रूप पानी / (6) पाताल कलशों में भरा पानी / (7) आकाश से बरसने वाला पानी / (8) पर्वत में से निरंतर निकलने वाला झरने का पानी / (9) महोतपोप तीर झरने का गर्म जल / (10) घनोदधि और घनोदधि वलय रूप पानी तथा (11) यह तमस्काय रूप पानी / इस प्रकार के जल-परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि पानी मात्र समतल ही नहीं रहता है; ऊँचे-नीचे भी, उपर उठा हुआ भी रह सकता है और आकाश में चल भी सकता है / इसी सिलसिले में यह तमस्काय रूप पानी धुंअर फुहारे जैसा उपर उठा हुआ है। . जंबद्वीप से असंख्यात द्वीपसमुद्र जाने के बाद असंख्यातवाँ अरुणोदय समुद्र चूडी के आकार का है। उसकी बाह्य जगती-वेदिका से सर्व दिशाओं में 42000 योजन अंदर आने पर यहाँ से संख्याता योजन जाडी असंख्य योजन के परिमंडलाकार की एक अप्कायमय धूअर जैसी जलभित्ति समुद्रीजल की उपरी सतह से एक समान प्रदेश वाली श्रेणी रूप अर्थात् चौतरफ समान विस्तार वाली परिमंडलाकार गोलाई में उपर उठी हुई है। जो 1721 योजन ऊँचाई / 220
SR No.004414
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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