________________ आगम निबंधमाला से जहावि अणगारे उज्जुकडे णियाग पडिवण्णे अमायं कुव्वमाणे, वियाहिए। जाए सद्धाए णिक्खंतो तमेव अणुपालिया, विजहित्तु विसोत्तियं। यहाँ प्रथम वाक्य में 'अणगारे' के साथ वियाहिए क्रिया को संबंधित करके अर्थ करने से अर्थात् ठीक से शब्दों का अन्वय करके अर्थ करने से सही भावार्थ निकल आता है कि- जो सरलता से भावित होकर अर्थात् सरलता से ओतप्रोत होकर, छल कपट प्रपंचों के सेवन से पूर्ण मुक्त होकर, मोक्ष साधना में लगा रहता है, वह सच्चा अणगार कहा गया है / दूसरे वाक्य में 'विसोत्तियं' शब्द है जिसका अर्थ है- श्रद्धा उत्साह और लक्ष्य में बाधक विचार, रूकावट करने वाले तत्त्व, लक्ष्य में विघटन करने वाले पहलू या परिस्थितियाँ / इसके साथ 'विजहित्त' क्रिया पद से इन बाधक तत्त्वों को छोडने का, निकालने का, दूर करने . का उपदेश, निर्देश किया गया है। निबंध-७ . संयम और संयमी के पर्यायवाची शब्द : आचा.अध्ययन पहला- मुणी, अणगार, मेहावी, संयत, आयंकदंसी, ' दविया, वसुमं, ये संयमी अर्थ में प्रयुक्त शब्द हैं / संयमवाची शब्द इस प्रकार हैं- अभयं, अकुतोभयं, आयाणीयं, असत्थं, विणयं, ये प्रथम अध्ययन में प्रयुक्त शब्द हैं / आगे के अध्ययनों में भी ऐसे कई शब्दों का प्रयोग हुआ है। अध्ययन दूसरा- धीरो, पंडिए, कुसले, समिए, धुवचारिणो, पासगस्स, भिक्खू, आरिएहिं, मइमं, वीरे, ये संयमी के शब्द हैं / अहो विहाराए खमं, संकमणे, मोणं, अणुघायणस्स, ये संयम के शब्द है / अध्ययन तीसरा-णिग्गंथं, अंजू, अतिविज्जो, णिक्कम्मदंसी, परमदंसी, अणोमदंसी, अणण्णपरमं णाणी, महेसी, दूरालइयं, उवरयसत्थ, पलियंतकर, विधूतकप्पे, ये संयमी के शब्द हैं / सव्वं, परमं, अणण्णं, महाजाणं, ये संयम के शब्द हैं। अध्ययन चौथा- उवसमं, बंभचेरंसि, सच्चंसि, ये संयम के शब्द हैं / अध्ययन पाँचवाँ- विरयस्स, परम चक्खू, वण्णाएसी, माणवा, णरे, वेयवी, णिट्ठियट्ठीं, महं, ये संयमी / 22 /