________________ आगम निबंधमाला संख्या 32 या 45 में नहीं स्वीकारा गया है / (7-10) ये चार सूत्रों के नाम अन्य किसी शास्त्र में नहीं है / नंदीसूत्र में दसवें सांक्षेपिक दशा सूत्र के दस अध्ययनों के नाम दस स्वतंत्र शास्त्र के नाम से आज भी मिलते हैं। उसी प्रकार उपांगसूत्र नामक शास्त्र के 5 वर्गों के नाम भी 5 शास्त्र रूप में नंदी में मिलते है, नंदी की कोई प्रतो में 6 वर्ग के नाम से 6 शास्त्र नाम भी मिलते हैं। तात्पर्य यह है कि प्रस्तुत में कथित सातवाँ आठवाँ नववाँ तीन शास्त्र नंदी सूत्र में नहीं है, दशवें सूत्र के 10 अध्ययनों के नाम नंदी में है, शास्त्र का नाम नहीं है / सातवें बंधदशा शास्त्र के सातवें आठवें अध्ययन का नाम भावना और विमुक्ति है / वे दोनों अध्ययन लेखनकाल में या उसके पूर्व में कभी भी आचारांग के अंतिम अध्ययन रूप में रख दिये गये हैं। जो आज भी आचारांग सूत्र में उपलब्ध है। इस प्रकार यहाँ वर्णित ये दश शास्त्र और उनके अध्ययनों के नामों की गहन विचारणा से यह फलित होता है कि शास्त्र लेखन समय में पूर्वधरों की पारस्परिक विचारणा से, योग्य संशोधन-संपादन भी अधिकार पूर्वक किया गया है / कुछ शास्त्र विच्छिन्न भी हुए हैं और कुछ के नामों में मतिभ्रम और लिंपिदोष भी हुआ है। निबंध-८५ - 10 अच्छेरों का स्पष्टीकरण / लोक स्वभाव से जो कृत्य प्रायः नहीं होने योग्य होते है वे अनंत काल से कभी कदाचित् हो जाय, उन्हें अच्छेरे कहा गया है / लोक व्यवहार में भी कभी अनहोनी घटनाएँ बन जाती है उन्हें आश्चर्यकारी घटना कहा जाता है। प्रस्तुत अध्ययन में भी अनंतकाल से कभी-कदापि होने वाली अनहोनी घटना-बनाव को आश्चर्य-अच्छेरे के नाम से कहा गया है और यहाँ 10 की संख्या के प्रासंगिक ऐसे 10 अच्छेरों का निरूपण संक्षिप्त शब्दों में किया गया है। उन घटनाओं का विस्तृत स्पष्टीकरण व्याख्याकारों ने संकलित संपादित किया है / जिनका भावार्थ इस प्रकार है(१) उपसर्ग- सामान्यतया पुण्यशाली केवली तीर्थंकरों को उपसर्ग | 169/