________________ आगम निबंधमाला उपासक, अंतगड, अनुत्तरोपपातिक, प्रश्नव्याकरण सूत्र ये चारो अंगशास्त्र है। (6) आचारदशा- यह दशाश्रुतस्कंध का अपरनाम है। (7) बंधदशा (8) दोगिद्धिदशा (9) दीर्घदशा (10) संक्षेपिक दशा। अध्ययनों के नाम :- दशों शास्त्रों के दस-दस अध्ययनों के नाम सूत्र-१०३ से 112 तक में स्पष्ट है / जिसमें- (1) उपासकदशा सूत्र (2) दशाश्रुत स्कंध के नाम विवाद रहित आज भी उपलब्ध है / (3) दुःखविपाक सूत्र के नामों में से अंतिम तीन नामों में भिन्नता है, यह भिन्नता अनेक नामों के कारण या अध्ययन के नामकरण के आशय की भिन्नता से है, ऐसा व्याख्याकारों ने स्पष्ट किया है / (4) अंतगड सूत्र के दस नाम पूर्णतः अन्य ही है / उसका कारण अज्ञात है / (5) अनुत्तरोपपातिक सूत्र-इसमें 2-3 नाम में साम्यता है, शेष नाम अन्य है। वर्तमान में उपलब्ध इस शास्त्र में तीन वर्ग है / पहले, तीसरे वर्ग में दस-दस अध्ययन है, दूसरे वर्ग में 13 अध्ययन है, कुल 33 अध्ययन है, जब कि प्रस्तुत प्रकरण में मात्र 10 अध्ययनों के नाम हैं और वर्ग विभाग का कथन नहीं है / इस विभिन्नता का कारण भी अज्ञात है / (6) प्रश्नव्याकरण सूत्र के दस नाम जो लिखे है, वे संपूर्णत: अन्य है, वर्तमान में 5 आश्रव, 5 संवर स्थान रूप अध्ययन नाम है और नाम के अनुरूप 5 पाप और 5 महाव्रतों का वर्णन है / प्रस्तुत सूत्र कथित 10 अध्ययन नाम वाला प्रश्नव्याकरण सूत्र देवर्धिगणि'क्षमाश्रमण के समय तक उपलब्ध रहा होगा। बाद में विद्याओं के कारण इस शास्त्र के मौलिक अध्ययनों को हटाकर नये 10 अध्याय रखे गये हैं ऐसा उपलब्ध आगम से इतिहास चिंतकों का मार्गदर्शन मिलता है। ये दस अध्ययन के नाम जो यहाँ है वे नंदी में तथा समवायाँग सूत्र में भी मिलते हैं / अत: वर्तमान में उपलब्ध प्रश्नव्याकरण सूत्र संपूर्ण नया है, जिसे पूर्वधरों ने मिलकर निर्णित किया है ऐसी परंपरा मान्य है / पूर्व में रहे प्रश्नव्याकरण के विद्याओं सिवाय के विषयों के संकलन से दो शास्त्र बने हैं- (1) उत्तराध्ययन सूत्र (2) ऋषिभाषित सूत्र / इन दोनों सूत्रों के नाम नंदी सूत्र में मिलते हैं / ऋषिभाषित सूत्र भी प्रकाशित उपलब्ध होता है / जिसमें 45 उपदेशी अध्ययन हैं / उत्तराध्ययन में 36 उपदेशी अध्ययन हैं / किसी कारणवश या अनुपलब्धि के कारण ऋषिभाषित सूत्र को आगम: 168