________________ आगम निबंधमाला नारकी ये सभी निरुपक्रमी आयुष्य वाले ही होते हैं / उसके सिवाय के जीव दोनों प्रकार के आयुष्य वाले होते हैं। उनमें कौन कैसा आयुष्य लाया है यह छद्मस्थ के जानने का विषय नहीं है, विशिष्ट ज्ञानी, केवलज्ञानी ही उसे जान सकते हैं। विशेष-ओघ प्रवाह के कथन से, रूढ शब्दप्रयोग से आयुष्य में घट-वध होना कहा जाता है परंतु वास्तव में सत्य यह है कि आयुष्य में कम होना संभव है अधिक नहीं होता / अर्थात् आयुष्य कभी बढ नहीं सकता है। निबंध-७८ सात निह्नवों के सिद्धांत और समाधान जो तीर्थंकरों द्वारा प्ररुपित तत्त्व को अपने मिथ्याभिनिवेष के . वशीभूत होकर नहीं स्वीकारे, उसे मिथ्या कहे या उसमें अपनी बुद्धितर्क के अहं से हीनाधिक प्ररूपण करे, तीर्थंकर की या आगम गुंथन करने वाले गणधरों की या आचार्यों की भूल होना कहे और अपने मनमानी प्ररुपण, प्रचार, मतप्रवर्तन एवं स्वच्छंद आचरण करे, ऐसे लक्षणोंवाला निह्नव कहा जाता है। इस स्थान के सूत्र-१३१ में ऐसे७ निह्नवों के नाम, उनकी मान्यता और उनमें निह्नवता उत्पत्ति का या प्रवर्तन स्थल का नाम सूचित किया है। व्याख्या में उन सातो निह्नवों की घटना कथा का विस्तृत वर्णन है। सात निह्नवनाम विषय समय 1 जमाली कार्यप्रतिक्षण नहीं होता | भगवान महावीर के केवलज्ञान के 14 वर्ष बाद 2 तिष्यगुप्त जीव के चरम प्रदेशमें ही वीरनिर्वाण 14 वर्ष बाद जीवत्व 3 आषाढ सबकुछ अव्यक्त वीरनिर्वाण 214 वर्ष वाद 4 अश्वमित्र सबकुछ क्षणिक विनाशी वीरनिर्वाण 220 वर्ष बाद. 5 गंग एक समय में दो क्रिया वीरनिर्वाण 228 वर्ष बाद का अनुभव [152 / - nawarad - - -