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________________ आगम निबंधमाला उपयोगी होते हैं / (4) वायु- श्वास रूप में और गर्मी की शांति में वायु की अत्यंत आवश्यकता होती है / (5) वनस्पति- घास, पाट, वस्त्र, औषध आदि अनेक आवश्यक पदार्थों को देनेवाली वनस्पति भी अत्यंत उपयोगी है / (6) त्रसकाय- पशुओं से प्राप्त दूध दही आदि, ऊन के वस्त्र, रजोहरण आदि में पंचेन्द्रिय त्रसकाय उपयोगी है तथा देव मनुष्य भी संयम साधना में प्रवचन प्रभावना में उपयोगी बनते हैं / (7) गणगच्छ के साधु-साध्वी, शिष्य-शिष्याएँ तथा पदवीधरं श्रमण, ये सभी संयम में सहयोगी एवं उपकारी बनते हैं / (8) राजा- जिस राज्य में राजा संयम पालन करते हुए विचरण करने देते हतोवह राजाका उपकार गिना गया है / (9) गृहस्थ- श्रावक-श्राविका एवं अन्य गृहस्थ भी आहार, मकान, वस्त्र आदि के प्रदाता होने से संयम में उपकारी स्वीकारे गये हैं। (10) शरीर- अपना यह मनुष्य शरीर भी संयम साधना का प्रमुख उपकारी गिना गया है, अन्य गतियों में संयम साधना का अभाव है / इस प्रकार 10 की निश्रा से, आलंबन से, सहकार से संयम की सफलता सुलभ बनती है। निबंध-७५ श्रुत अध्ययन के उद्देश्य एवं लाभ सूत्र-५३,५४ में क्रमशः सूत्रार्थवाचना देने के और सूत्रार्थ ग्रहण करने के 5-5 लाभ-उद्देश्य दर्शाये गये हैं- (1) जिनशासन में श्रुतज्ञान और श्रुतज्ञानियों की परंपरा अविच्छिन्न चालु रहे / (2) ज्ञान और ज्ञानी की अपनी संपदा वृद्धि के लिये अर्थात् अधिकतम शिष्य ज्ञान संपन्न बने, बहुश्रुत बने एवं जिससे स्व-पर तथा संघ के उपकारक बने / (3) शिष्यों के प्रति कर्तव्यपालन के साथ सहज उपकार की भावना से / (4) स्वाध्याय आदान-प्रदान में आभ्यंतर तप द्वारा कर्मों की निर्जरा के हेतु से। (5) वाचना देने से अपने ज्ञान की स्मृति ताजा रहेगी एवं परस्पर चर्चा विचारणा से अपना श्रुतज्ञान पुष्ट पुष्टतर बनेगा। ये वाचना देने के शुभ हेतु कहे गये हैं। साधकों को वाचना देने में ऐसे आगमिक पवित्र हेतु अंतरमानस में रखने का लक्ष्य रखना चाहिये। . वाचना लेने के अर्थात् श्रुत अध्ययन करने के मुख्य हेतु- (1) 148
SR No.004414
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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