________________ आगम निबंधमाला सकते हैं / भविष्य में कौन दीक्षा छोडेगा; गुरु को छोडेगा, ब्रह्मचर्य नहीं पालन कर सकेगा इत्यादि कल्पना और ठेकेदारी किसी के हाथ की बात नहीं है / चौथे आरे में भी गोशालक, जमाली, वेश्या को स्वीकारने वाले एवं अनेक निह्नव आदि बनते हैं। स्वयं भगवान महावीर के द्वारा दीक्षा दिए हुए मेघकुमार सरीखे दीक्षा के पहले ही दिन में वापिस घर जाने का सोच सकते हैं 'उनके वैराग्य की कसौटी नहीं हुई थी', ऐसा भी नहीं कहा जा सकता। पार्श्वनाथ भगवान की सेकडों साध्वियाँ संयम ग्रहण और पालन के बाद गुरुणी से अलग होकर रहने लगी थी। ___ अत: बाल वय की दीक्षा पर ही आक्षेप लगाकर अनेक अनिष्ट की कल्पना करना एकांतिक सोच है / भगवान का मार्ग अनेकांतिक दृष्टिकोण युक्त होता हैं / वर्तमान में भी हम ध्यान देवेंगे तो अनुभव होगा कि अनेक प्रभावक आचार्य आदि जिनशासन के सितारे जैसे महान साधक ऐसे हुए हैं और वर्तमान में हैं कि जो 9-10-12-15 वर्ष की वय में दीक्षा लेकर भी बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न होकर वर्षों की संयम पर्याय से जिनशासन की प्रभावना कर रहे हैं। दूसरी ओर देखेंगे तो 18 से 60 वर्ष में दीक्षा लेने वाले भी कोई वापिस घर चले जाय, ऐसे भी उदाहरण देखने को मिल सकते हैं। अत: अनेकांतिक दृष्टिकोण युक्त सर्वज्ञानी तीर्थंकरों की और उनके आगमों की आज्ञा या विधान को सर्वोपरी महत्त्व देना चाहिये / फिर भी विवेक सावधानी रखने के लिये किसी को कोई मनाई नहीं है / तथापि अपनी सोच को ही सर्वोपरी समजकर सर्वज्ञों के, आगमों के विधान को अयथार्थ ठहराने की चेष्टा किसी को भी नहीं करना चाहिये / निबंध-५७ - . आत्मसुरक्षा के तीन साधन - (1) समूह में रहने वाले सहवर्ती साधु संयम का यथार्थ पालन न करे या परस्पर क्लेशकदाग्रह करते हों तो उन्हें विवेक पूर्वक धर्मबोध देकर सावधान करना, वातावरण को शांत, पवित्रं रखना (2) गलती करने वाले समझने,मानने के स्वभाव या स्थिति में न हों या उन्हें समझाने की अपनी क्षमता न होतो मौनभाव पूर्वक स्वयं की साधना में अत्यधिक [115