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________________ आगम निबंधमाला अध्ययन का वाँचन स्वाध्याय करने का पुरूषार्थ करना चाहिये / निबंध-३० ज्ञातासूत्र श्रुतस्कंध-२ वर्णित 206 आत्माएँ द्वितीय श्रुतस्कंध में दश वर्ग इस प्रकार है- प्रथम वर्ग में चमरेन्द्र की अग्रमहिषियों का वर्णन है। दूसरे वर्ग में वैरोचनेन्द्र बलीन्द्र की। तीसरे में असुरेन्द्र को छोड़कर दक्षिण दिशा के नौ भवनवासी इन्द्रों की अग्रमहिषियों का और चौथे में उत्तर दिशा के इन्द्रों की अग्रमहिषियों का वर्णन है / पाँचवे में दक्षिण और छठे में उत्तर दिशा के वाणव्यंतर देवों की अग्रमहिष्यिों का / सातवें में ज्योतिष्केन्द्र चन्द्र की, आठवें में सूर्य की तथा नोवें और दशवें में वैमानिक के सौधर्मेन्द्र तथा ईशानेन्द्र की अग्रमहिषियों का वर्णन है। इन सब देवियों का वर्णन वस्तुतः उनके पूर्वभव का है, जिसमें वे मनुष्य पर्याय में महिला के रुप में जन्मी थी। उन्होंने साध्वीदीक्षा अंगीकार की थी और कुछ समय तक चारित्र की आराधना की थी। उसके बाद वे शरीर बकुशा हो गई, चारित्र की विराधना करने लगी / गुरुणी के मना करने पर भी विराधना के मार्ग से हटी नहीं। गच्छ से अलग होकर रहने लगी और अंतिम समय में भी अपने दोषों की आलोचना-प्रतिक्रमण किये बिना ही शरीर त्याग किया। 206 देवियों की संख्या का मिलान :1 चमरेन्द्र की अग्रमहिषियाँ 2 बलीन्द्र की अग्रमहिषियाँ 3 दक्षिण के नागकुमार आदि 9 की अग्रमहिषियाँ 649-54 4 उत्तर के नागकुमार आदि 9 की अग्रमहिषियाँ 649-54 5 दक्षिण व्यंतर के 8 इन्द्रों की अग्रमहिषियाँ 448-32 6 उत्तर व्यंतर के 8 इन्द्रों की अग्रमहिषियाँ 7 चन्द्रेन्द्र की अग्रमहिषियाँ 8 सूर्येन्द्र की अग्रमहिषियाँ 9 सौधर्मेन्द्र की अग्रमहिषियाँ 10 ईशानेन्द्र की अग्रमहिषियाँ कुल : 206 448-32 < < / 99 /
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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