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________________ आगम निबंधमाला . यथा- पाँड़वों ने कृष्ण की शक्ति देखने का भोलापन किया / जिसका परिणाम यह हुआ कि अपमानित होकर पूरे परिवार को एवं देश को छोड़कर समुद्र के किनारे जाकर आजीवन रहना पड़ा। माता-पिता ने भी पाँड़वों का साथ नहीं किया अपितु पाँचों को जाने का आदेश दे दिया। जीवन भर के लिए हस्तिनापुर भी उनका छूट गया। (11) उत्तम पुरुष वास्तव में वे होते हैं जो अपना पिछला जीवन भी सुधार लेते हैं / कहा भी है- पाछल खेती निपजे, तो भी दारिद्र दूर // पाँचों पाँड़वों ने पुत्र को राज्य भार संभला कर संयम ग्रहण कर आत्म कल्याण साध लिया। सारी ही उम्र संसार की आसक्ति में नहीं बिताई। (12) तीर्थंकर की मौजुदगी में भी स्थविरों के पास दीक्षा ली जाती है। यथा- पाँचों पाँड़वों ने धर्मघोष आचार्य के पास दीक्षा ली। तब अरिष्टनेमिनाथ भगवान विचरण कर रहे थे। विस्मयकारी रहस्य :-यहाँ के वर्णन अनुसार तो पाँडुराजा के राज्यकाल में ही पाँचों पाँड़व कृष्ण की आज्ञा से हस्तिनापुर छोड़कर चले गये थे और पाड मथुरा में रहते हुए ही उन्होंने दीक्षा ली थी। इस प्रकार के आगम वर्णन से तो महाभारत के युद्ध होने के उपलब्ध कथा की कोई शक्यता नहीं लगती है क्यों कि पाँडराजा स्वयं हस्तिनापुर का राज्य संभाल रहे थे तभी पाँड़वों को देश निकाला कृष्ण ने दे दिया था। वास्तविकता- द्रौपदी के स्वयंवर के समय पांडवों को और कृष्ण को बुलाया गया था और जरासंघ प्रतिवासुदेव(हजारो राणियाँ)होने से उसके पुत्र को निमंत्रण भेजा था। वहाँ की घटना का और कृष्ण की प्रधानता का वर्णन पुत्र द्वारा ज्ञात होने पर जरासंघ के उत्तेजित होने पर फिर कृष्ण और जरासंघ का युद्ध हुआ उसमें कौरव जरासंघ के पक्ष में मारे गये(स्वयंवर में तो आये थे बाद में उनका किचित भी वर्णन नहीं है ।)राज्य तो तब तक भी पांडुराजा ही संभाल रहे थे। युधिष्ठिर और दुर्योधन के राज्य संभालने का प्रश्न ही नहीं होता। पांडवों के देश निकाले तक भी पांडुराजा ही राज्य संभाल रहे थे [यह आगम आधारित अनुप्रेक्षण निष्कर्ष व्यक्तिगत है। विद्वान, बुद्धिमान, स्वाध्यायी आगम संप्रेक्षण के समय इसकी कसोटी करेंगे और / 90
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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