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________________ आगम निबंधमाला देखा जा सकता था, किन्तु उन गृहों में बैठने वाले एक दूसरे को नहीं देख सकते थे / मल्लिकुमारी का सफल उपाय :- जब कुंभ राजा ने मल्लिकुवरी के कहे अनुसार सूचना करवा दी, तब छहों राजा मल्लिकुमारी का वरण करने की लालसा से गर्भगृहों में आ पहुँचे / प्रभात होने पर सबने मल्ली की प्रतिमा को देखा और समझ लिया कि यही कुमारी मल्ली है। सब उसी की ओर अनिमेष दृष्टि से देखने लगे। तब मल्लीकुमारी वहाँ पहुँची और प्रतिमा के मस्तक के छिद्र को उघाड़ दिया / छिद्र को उघाड़ते ही उसमें से जो दुर्गंध निकली वह असह्य हो गई। सभी राजा घबरा उठे / सबने अपनी अपनी नाक दबाई और मुँह बिगाड़ लिया / विषयासक्त राजाओं को प्रतिबोधित करने का यही उपयुक्त अवसर था। मल्लीकुमारी ने नाक, मुँह बिगाड़ने का कारण पूछा। सभी का एक ही उत्तर था असह्य दुर्गंध / तब राजकुमारी ने राजाओं से कहा- देवानुप्रियो ! इस प्रतिमा में भोजन पानी का एक-एक पिड़ डालने का ऐसा अनिष्ट एवं अमनोज्ञ परिणाम हुआ तो इस औदारिक,शरीर का परिणाम कितना अनिष्ट और अमनोज्ञ होगा? यह शरीर तो मल, मूत्र, रुधिर आदि की थैली है। इसके प्रत्येक द्वार से गंदे पदार्थ झरते रहते हैं। सड़ना-गलना इसका स्वभाव है / इस पर से चमड़ी की चादर हटा दी जाय तो यह शरीर कितना असुंदर एवं विभत्स प्रतीत होगा। वह चीलों कौवों आदि का भक्ष्य बन जाएगा / तो मल-मूत्र की इस थैली पर आप क्यों मोहित हो रहे हैं? इस प्रकार संबोधित करके मल्लीकुमारी ने पूर्वजन्मों का वृतान्त उन्हें कह सुनाया। किस प्रकार वे सब साथ दीक्षित हुए थे, किस प्रकार उसने कपटाचरण किया था; किस प्रकार वे सब देवपर्याय में उत्पन्न हुए थे, इत्यादि वर्णन कह सुनाया। राजाओं को जाति स्मरण ज्ञान एवं बोध :- मल्ली द्वारा पूर्वभवों का वृतांत सुनते ही छहों राजाओं को जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न हो गया / वे सभी संबुद्ध हो गये / तब गर्भगृहों के द्वार उन्मुक्त कर दिए गए / / 77
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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