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________________ आगम निबंधमाला चोर को अपना बहुत बड़ा नुकशान करने वाला जान रहा था, पुत्र का हत्यारा मान रहा था, बस इसी मानस के कारण चोर को आहार देने में उसकी पूर्ण उदासीनता और लाचारी थी। साधक भी अपने इस शरीर का संरक्षण करने में ऐसे ही लाचारी और उदासीनता के भाव रखे / मोक्ष साधक संयम के पालन में इस मानव देह का साथ सहकार लेना आवश्यक समझकर इसका संरक्षण करे / वह यह माने, समझे कि अनादि काल से जीव अपने प्राप्त शरीर के संरक्षण और मोह में लीन रहता है / जिससे यह शरीर आत्मा के गुणों का नाश करने में, कर्मों से आच्छादि करवाने में मुख्य कारण बना है, यह आत्मा का अधिकतम अहित करने में निमित्त रहा हुआ है / फिर भी आत्मशांति- मोक्षप्राप्ति में इसका सहाय लेना भी जरूरी है / अतः उम्रपर्यंत यह संयम साधना में सहायक बना रहे, बाधक न बने, उस लक्ष्य और विवेक से, इस शरीर का साथ निभाने के लिये कुछ संयम के समय का भोग देना आवश्यक है ऐसा समझ कर, साधक अंतर मन में इससे उदासीन एवं सावधान रहता हुआ वर्तन करे किंतु इसकी सेवा में तल्लीन नहीं बने / इसे सजाने में आनंद नहीं माने / ज्ञान आत्मा से इस शरीर को कर्मबंध में मददगार और दुःख परंपरावर्धक समझ कर सावधान रहे और इसके साथ एक बंधन में रहा हूँ अतः साधना से मोक्ष पहुँचने तक कुछ संविभाग रूप में, इसकी सार संभाल देखरेख करनी भी जरूरी पड़ गई है। इसलिये वह तो करना पड़ेगा, उम्र पर्यंत इसका साथ निभाना ही पड़ेगा, ऐसा समझ कर जरूरी समय और जरूरी प्रवृत्ति इसके लिये विवेक एवं उदासीनता से समझ पूर्वक करे परंतु उन शरीर सेवा सजावट की प्रवृत्तियों वृत्तियों में कभी भी आनंद नहीं माने / जैसे कि धन्य सेठ ने चोर को आहार देने में कोई प्रकार का आनंद नहीं माना था। संक्षेप में साधक शरीर की आहारादि से सार संभाल करते हुए भी अंतरमन में शरीर के प्रति अनुराग प्रेम आसक्ति नहीं रखे। इसे मूल में आत्मा के गुणों में बहुत बड़ा नुकशान करने वाला मानता हुआ इसके साथ वर्तन करे तथा एक दिन इसके संगाथ-संगति से सदा के लिये मुक्त होना है अर्थात् संलेखना-संथारा स्वीकार कर इस देह का पूर्ण रूप से त्याग करना है, ऐसा मानस निरंतर बनाये रखे।
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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