________________ आगम निबंधमाला अन्य दीप समुद्रों की अपेक्षा में तो यह हमारी ज्ञात दुनिया अत्यंत ही छोटी मालुम पड़ेगी। __ इस प्रकार ज्ञात दुनिया के सामने आगम निर्दिष्ट दुनियाँ का स्वरूप रखकर समझने की कोशिश करनी चाहिये। प्रश्न-यह चर्म चक्षु का भ्रम क्या चीज है ? उत्तर- मानव की आखों की कीकी(शक्ति सम्पन्न यंत्र बिन्दु)गोल है। प्रत्येक व्यक्ति का अपना स्वतंत्र दृष्टि क्षेत्र सीमित होता है। उस अपने दृष्टि क्षेत्र से भी बड़ी वस्तु यदि उसके सामने आती है तो वह उसे अपने दृष्टि क्षेत्र जितने गोलाकार रूप में देखकर अवशेष उस पदार्थ के विभाग को नहीं देखता है। उसके स्थानों पर फिर केवल शून्य स्थल रूप आकाश ही देखेगा। जिस प्रकार यदि हम एक इंच के व्यास वाली और दो इंच लम्बी एक छोटी सी गोल नली आखों के पास रख कर देखेंगे तो उस नली की गोलाई से प्राप्त होने जितना ही क्षेत्र और उतनी ही वस्तु दिखेगी उस क्षेत्र से बड़ी वस्तु को वह अपनी सीमा जितनी गोल देखकर अवशेष को छोड़ देगी। पहाड़ी पर खड़े व्यक्तियों का दृष्टांत :- उसी तरह कुछ व्यक्ति एक पहाड़ी पर खड़े है। उनके चक्षुदृष्टि क्षेत्र अर्थात् चक्षु ज्ञान शक्ति क्रमशः 5, 10, 12, 15 माइल का है / तो उसमें पहला व्यक्ति चौ तरफ पाँच पाँच माइल क्षेत्र देख कर आगे केवल आकाश या खड्डा (भूमि रहित क्षेत्र) होना ही देखता है। उसी समय वहीं खडा दूसरा व्यक्ति 10 माइल चौतरफ क्षेत्र देख लेता है और तीसरा चौथा व्यक्ति 12 और 15 माइल गोलाकार चौतरफ क्षेत्र देखता है। वहीं उसी समय उनको दूर दर्शक यंत्र दे दिया जाय तब वही 5 माइल का घेरा देखने और कहने वाला 50 माइल का घेरा भी देखने लग जाता है। अतः वास्तव में पृथ्वी न तो 5 मील के घेरे जैसी थी, न 10 माइल के घेरे जैसी और न 12-15 माइल के घेरे जैसी थी। साथ ही 50 माइल की घेरे जितनी भी नहीं मानी जा सकती। क्यों कि 5 मील की दृष्टि वाले को यंत्र से 50 माइल दिख रहा है तो 15 माइल के दृष्टि क्षेत्र वाले को 150 माइल क्षेत्र दिख सकेगा और वहीं