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________________ आगम निबंधमाला आदि नदी, पर्वत, क्षेत्र, द्रह, कूट, भवन, पुष्करणियाँ, प्रासादावतंसक आदि आँखों के सामने श्रुतज्ञान के रूप में प्रत्यक्ष हो जाते हैं। प्रश्न- इस श्रुतज्ञान के अनंतर यह प्रश्न स्वाभाविक होता है कि वर्तमान प्रत्यक्षीभूत पृथ्वी और सैद्धांतिक पृथ्वी के ज्ञान का सुमेल किस तरह होता है ? समाधान- इसके लिये सामाधान इस प्रकार समझना चाहिये। आज के वैज्ञानिक साधन एवं वैज्ञानिक मन्तव्य कुछ सीमित ही है। अतः उसके अनुसार ही उनका बोध एवं गमनागमन हो सकता है। गमनागमन क्षमता के अभाव में अवशेष सम्पूर्ण क्षेत्र अज्ञात ही रहते हैं। विशाल क्षेत्रों का अप्रत्यक्षीकरण क्यों ? :- आज हम दक्षिण भरत क्षेत्र के प्रथम मध्य खंड़ के किसी सीमित भूमि क्षेत्र में अवस्थित हैं / लवण समुद्रीय प्रविष्ट जल के किनारे हैं / यों भरत क्षेत्र तीन दिशाओं में लंवण समुद्र से एवं उसके प्रविष्ट जल से घिरा हुआ है / वह समुद्री जल सैकड़ों या हजारों माइल जाने पर आ ही जाता है। हमारी उत्तरी दिशा ही समुद्री जल से रहित हैं / इस दिशा में पर्वत या समभूमि है। किन्तु उत्तर में भी 9-10 लाख से कुछ अधिक माइल जाने पर वैताढ्य पर्वत दो लाख माइल का ऊँचा है। अतः इतना ऊँचा जाकर फिर उत्तर दिशा में आगे जाना आज की मानवीय यांत्रिक शक्ति से बाहर है और जम्बूद्वीप के वर्णित सारे क्षेत्र पर्वत आदि वैताढ्य पर्वत के बाद ही उत्तर में है। अतः उनकी जानकारी एवं प्रत्यक्षीकरण चक्षुगम्य होना असंभव सा हो रहा है। दक्षिण भरत का भी अप्रत्यक्षीकरण क्यों? :- शाश्वत गंगा-सिन्धु नदियें, मागध, वरदाम, प्रभास तीर्थ, सिंधु देवी का भवन आदि एवं दोनों गुफा के द्वार तो इसी खंड में हैं। फिर भी इन स्थलों का प्रत्यक्षीकरण आज के मानव को नहीं हो रहा है, इसका कारण भी यह है कि (1) वैज्ञानिकों द्वारा उक्त स्थानों के आगमीय वर्णन को समझ कर सही क्षेत्रीय निर्णय नहीं किया जाता है। (2) इन स्थानों के और हमारे निवास क्षेत्र रूप ज्ञात दुनिया के बीच में यदि विकट पर्वत या जलीय भाग हो गया हो तो भी वहाँ पहुँच पाना कम संभव है। (3) हमारे निवास क्षेत्र से उक्त स्थलों की दूरी का क्षेत्र भी -
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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