________________ आगम निबंधमाला .. होता है। अन्य किसी भी चिंतन को अपना विषय नहीं बनाना होता है / शारीरिक कष्ट या कोई व्याधि हो तो भी परम शांति से सहन करते हुए शांत प्रशांत मुद्रा में ही रहना होता है / इस प्रकारं का भक्तप्रत्याख्यान नामक पंडित मरण, कभी भी, कहीं भी, कोई भी व्यक्ति मृत्यु समय निकट जानकर कषाय रहित परिणामों में स्वीकार कर सकता है। (2) इंगिनी मरण अनशन :-विशिष्ट क्षमतासंपन्न साधक इंगिनी मरण नामक दूसरे प्रकार का अनशन स्वीकार करते हैं / इस अनशन विधि में अन्य के द्वारा किसी भी प्रकार की शरीर परिचर्या, सेवा सुश्रूषा नहीं ली जाती है, अन्यत्र गमनागमन भी नहीं किया जाता है। सीमित 5-25 फुट आदि क्षेत्र में या कमरे में स्वयं उठना, बैठना, घूमना आदि कर सकता है। शरीर को दबाना खुजलाना स्वयं कर सकता है / बाह्य लेप या औषध-उपचार भी नहीं कर सकता / भक्त प्रत्याख्यान रूप प्रथम अनशन की अपेक्षा इसमें ये विशेषता होती है। भक्त प्रत्याख्यान वाला भी इन नियमों का पालन कर सकता है किंतु उसमें ये नियम पालन आवश्यक नहीं होते हैं / (3) पादपोपगमन अनशन :-इस अनशन को स्वीकार करने वाला मलमूत्र त्याग की प्रवृत्ति के लिये हलन-चलन या गमनागमन करता है। उसके अतिरिक्त दिन-रात एक ही किसी सयन आसन से स्थिर निश्चेष्ट जैसा रहता है / मौन पूर्वक, ध्यानपूर्वक, शारीरिक कष्ट या उपसर्ग को सहन करता है / यदि सेवा में अन्य श्रमण हो तो वे बाह्य सुरक्षा का ध्यान रखते हैं / यदि अकेला ही है तो पशु आदि किसी के कुछ भी करने पर निश्चेष्ट जैसे ही धर्म ध्यान में लीन रहता है / यह अनशन साधना का अंतिम और उत्कृष्ट दर्जा है / इस अनशन को धारण करने वाले की क्षमता और धैर्य अपार होता है। शेष नियम भक्तप्रत्याख्यान वाले तो होते ही हैं / यह अनशन घर में या गाँव-नगर में नहीं होता, जंगल में या पहाडों पर किया जाता है / भक्तप्रत्याख्यान के सभी नियम विधान तो इंगिनीमरण और पादपोपगमन में होते ही हैं, उसके अतिरिक्त इन दोनों अनशनों की कुछ विशेषता होती है, जो ऊपर बताई गई है। 36