________________ आगम निबंधमाला 5. प्राणार्तिपातिकी- जीव हिंसा हो जाने पर / -भगवती सूत्र, ठाणांग सूत्र / आरंभिकी आदि पाँच क्रिया :1. आरंभिकी- हिंसा की प्रवत्ति और संकल्प से, 2. परिग्रहिकी- किसी में भी मोह ममत्व रखने से, 3. माया प्रत्यया- क्रोध मान माया लोभ करने से या इनके उदय से, 4. अप्रत्याख्यानिकी- पदार्थों का या पापों का त्याग न करने से, 5. मिथ्यात्व- खोटी मान्यता, श्रद्धा, प्ररूपणा से / -भगवती सूत्र, ठाणांग सूत्र / दृष्टिजा आदि आठ क्रिया :1. दृष्टिजा- किसी भी पदार्थ को देखने से, 2. स्पर्शजा- किसी भी चीज को छूने से, 3. नैमित्तिकी- किसी वस्तु या व्यक्ति के सम्बन्ध में सोचने, बोलने से अथवा सहयोग करने से, 4. सामन्तोपनिपातिकी- प्रशंसा की चाहना से या स्व प्रशंसा करने से, 5. स्वहस्तिकी- अपने हाथ से कार्य करने पर, 6. नैसष्टिकी- कोई भी वस्तु फेंकने से, 7. आज्ञापनिकी- कोई भी कार्य की आज्ञा देने से, 8. विदारिणी- किसी वस्तु को फाड़ने तोड़ने से, अनाभोग आदि सात क्रिया :1. अनाभोग- अनजानपने से पाप प्रवति होने पर, 2. अनवकांक्षा- उपेक्षा से, लापरवाह वत्ति से, 3. प्रेम प्रत्यया- किसी पर राग भाव करने से, 4. द्वेष प्रत्यया- किसी पर द्वेष भाव करने से, 5. प्रयोग प्रत्यया- मन वचन काया की प्रवत्तियों से, 6. सामुदानिकी- सामुहिक प्रवत्तियों से एवं चिंतन से, 7. ईर्यापथिकी- वीतरागी को योग प्रवत्ति से, इन पच्चीस क्रियाओं में सूक्ष्म अतिसूक्ष्म एवं विभिन्न प्रकार की [239/