________________ आगम निबंधमाला में समझ लेना चाहिए। (3) बादर 'क्षेत्र पल्योपम' में अखंड़ बालानों के अवगाहन किए आकाश प्रदेशों का हिसाब होता है और सूक्ष्म में असंख्य खंड़ किए गये बालानों के अवगाढ(अवगाहन किए) और अनवगाढ़ दोनों प्रकार के अर्थात् पल्य क्षेत्र के समस्त आकाश प्रदेश गिने जाते हैं / तीनों प्रकार के बादर(व्यवहार) पल्योपम केवल सूक्ष्म को समझने मात्र के लिए है और लोक में उसका कोई उपयोग नहीं होता है / (1) सूक्ष्म उद्धार पल्योपम से द्वीप समुद्रों का माप होता हैं अर्थात् ढ़ाई सूक्ष्म उद्धार सागरोपम के जितने समय होते हैं उतने ही लोक में द्वीप समुद्र है। (2) सूक्ष्म अद्धा पल्योपम, सागरोपम से चारों गति के जीवों की उम्र का कथन किया जाता है। (3) सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम से दृष्टिवाद अंग सूत्र में वर्णित द्रव्यों का माप किया जाता है / पल्य की उपमा- लम्बाई चोड़ाई ऊँचाई इन तीनों में समान, धान्य आदि मापने का एक पात्र होता है उसे.पल्य कहा जाता है / यहाँ स्वीकार किए जाने वाले विशाल पात्र को भी तीनों की समानता के कारण पल्य कहा गया है। स्पष्टीकरण :-उत्सेधांगुल से एक योजन लम्बा, चौड़ा गहरा गोलाकार पल्य हो जिसकी साधिक तीन योजन की परिधि हो। उसमें उत्कृष्ट सात दिन के नवजात शिशुओं के बाल लूंस ढूंस कर-खचाखच सघन ऐसे भर दिये जाय कि रंच मात्र भी रिक्त स्थान (स्थूल दृष्टि की अपेक्षा) न रहने पावे। ऐसे भरे उन बालों को समय समय में या सौ-सौ वर्षों में इत्यादि उपरोक्त भिन्न-भिन्न प्रकारों से निकाला जाता है और जितने समय में वह पल्य खाली होता है उतना समय पल्योपम कहलाता है / वह पल्योपम तीनों तरह से भरा जाने से तीन प्रकार का उपर कहे अनुसार उद्धार, अद्धा एवं क्षेत्र पल्योपम रूप होता है / इन प्रत्येक पल्योपम का सागरोपम उससे 10 क्रोडाक्रोड गुणा होता है अर्थात् 10 क्रोडाक्रोड पल्योपम-१ सागरोपम। इस प्रकार तीनों प्रकार के सागरोपम को अपने अपने माप. में 10 क्रोडाक्रोडा गुणा समझ लेना / एक विशेष बात यह ध्यान रखने की है कि इन बालारों से