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________________ आगम निबंधमाला . . एवं श्रमणों के शरीर का अग्नि संस्कार किया। निर्वाण महोत्सव और दाह संस्कार का शास्त्र में विस्तृत वर्णन है / उस दिन से तीसरे आरे के 89 पक्ष(३ वर्ष 8-1/2 महीना)अवशेष रहे थे। यह ऋषभदेव भगवान का वर्णन कहा गया है। सभी अवसर्पिणी के तीसरे आरे के अंतिम भाग का वर्णन एवं प्रथम तीर्थंकर का वर्णन यथायोग्य नाम परिवर्तन आदि के साथ उक्त प्रकार से समझ लेना चाहिए। यह तीसरा . आरा दो क्रोड़ाक्रोड़ सागरोपम का होता है। . . इस तीसरे आरे में शारीरिक, मानसिक और आपसी अनेक दुःख क्लेश चलते रहते हैं तथापि क्षेत्रस्वभाव, कालस्वभाव बहुत अनुकूल होता है। सुख सामग्री की बहुलता होती है। अतः इस आरे का नाम दुःखमा सुखमी है। चौथा आरा :-प्रथम तीर्थंकर के मोक्ष जाने के 3 वर्ष, साढ़े आठ मास बाद चौथा दुखमा सुखमी आरा प्रारम्भ होता है। पूर्वापेक्षया पदार्थों के गुणधर्म में अनंतगुणी हानि होती है। इस आरे में मनुष्यों की अवगाहना अनेक धनुष की अर्थात् 2 से 500 धनुष की होती है। उम्र आरे के प्रारम्भ में जघन्य अंतर्मुहूर्त की; उत्कृष्ट करोड़ पूर्व की होती है और आरे के अंत में जघन्य अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्ट साधिक सौ वर्ष अर्थात् 200 वर्ष से कुछ कम होती है। 6 संहनन, 6 संस्थान एवं आरे के प्रारम्भ में 32, अंत में 16 पसलिये मनुष्यों के शरीर में होती है। 72 कला, खेती, व्यापार, शिल्प, कर्म, मोहभाव, वैर, विरोध, युद्ध-संग्राम, रोग, उपद्रव आदि अनेक कर्मभूमिज अवस्थाएँ होती है। इस आरे में 23 तीर्थंकर 11 चक्रवर्ती होते हैं। एक तीर्थंकर और एक चक्रवर्ती तीसरे आरे में हो जाते हैं / 9 बलदेव 9 वासुदेव 9 प्रतिवासुदेव आदि विशिष्ट पुरुष होते हैं। इस काल में जन्मे हुए मनुष्य चारों गति में और मोक्ष गति में जाते हैं। इस समय युगल काल नहीं होता है। अतः हिंसक जानवर एवं डांस मच्छर आदि क्षुद्र जीवजन्तु मनुष्यों के लिए कष्टप्रद होते है। राजा, प्रजा, सेठ, मालिक, नौकर, दास आदि उच्च-निम्न अवस्थाएँ होती है। काका, मामा, दादा, दादी, पौत्र, प्रपौत्र, मौसी, भूआ आदि कई सम्बन्ध होते हैं। और भी जिन-जिन भावों का प्रथम आरे में निषेध किया गया है वे सभी भाव इस आरे [198
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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