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________________ आगम निबंधमाला निधियों का स्थान गंगामख समद्री किनारे पर है। निधियों के नाम अनुसार ही इनके मालिक देवों के नाम होते हैं और वे एक पल्योपम की उम्र वाले होते हैं। ये निधियाँ बाहर से भी अर्थात् इनकी बाह्य भित्तियाँ भी विविध वर्गों के रत्नों से जड़ित है।। (1) नैसर्प निधि-ग्राम नगर आदि के बसाने की विधियों एवं सामग्री युक्त होती है। (2) पाँडुक निधि- नारियल आदि, धान्य आदि, शक्कर गुड़ आदि उत्तम शालि आदि के उत्पादन की विधियों, सामग्रियों एवं बीजों से युक्त होती है। इन पदार्थों का इसमें संग्रह एव.संरक्षण भी हो सकता है। (3) पिंगलक निधि- पुरुषों, स्त्रियों, हाथी, घोड़ों आदि के विविध आभूषणों के भंडार युक्त एवं इनके बनाने, उपयोग लेने की विधियों से युक्त होती है। (4) सर्वरत्न निधि- सभी प्रकार के रत्नों का भंडार रूप यह निधि है। (5) महापद्म निधि-सभी प्रकार के वस्त्रों का भंडार रूप एवं उनको उत्पन्न करने की, रंगने, धोने, उपयोग में लेने की विधियों से युक्त होती है एवं तत्संबंधी अनेक प्रकार के साधन सामग्री से युक्त होती है। (6) काल निधि-ज्योतिषशास्त्र ज्ञान, वंशों की उत्पत्ति आदि ऐतिहासिक ज्ञान, सौ प्रकार के शिल्प का ज्ञान एवं विविध कर्मों का ज्ञान देने वाली एवं इनके संबंधी विविध साधनों, चित्रों आदि से युक्त होती है। (7) महाकाल निधि-लोहा, सोना, चांदी, मणि, मुक्ता आदि के खानों की जानकारी से युक्त एवं इन पदार्थों के भंडार रूप होती है। (8) माणवक निधि- युद्ध नीतियों के, राजनीतियों के, ज्ञान को देने वाली एवं विविध शस्त्रास्त्र कवच आदि के भंडार रूप यह निधि है। (9) शंख निधि- नाटक, नृत्य आदि कलाओं का भंडार रूप एवं अनेक उपयोगी सामग्री आदि से युक्त यह निधि होती है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्रतिपादक काव्यों एवं अन्य अनेक काव्यों, संगीतों, वाद्यों को देने वाली और इन कलाओं का ज्ञान कराने वाली, विविध भाषाओं, श्रृंगारों का ज्ञान कराने वाली यह निधि है। - ये सभी निधियाँ स्वर्णमय भित्तियों वाली एवं रत्नों जड़ित होती है, वे भित्तियाँ भी अनेक चित्रों आकारों से परिमंड़ित होती है। ये [185]
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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