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________________ आगम निबंधमाला . . प्रस्तुत शास्त्र में युगलिक स्त्री, पुरुष दोनों के 32-32 लक्षण युक्त शरीर कहा है / श्री औपपातिक सूत्र में तीर्थंकरों के शरीर को 1008 लक्षणों से युक्त कहा गया है / चक्रवर्ती के 108 लक्षण युक्त शरीर कहा जाता है / प्रस्तुत शास्त्र में चक्रवर्ती के लक्षण खुलासेवार कहे है परंतु गिनने पर वे 108 नहीं होकर 85 होते हैं / संभवतः लिपि दोष से कम हो गये हो ऐसी संभावना की जा सकती है / युगलिक स्त्री के वर्णन में 32 लक्षणों के नाम स्पष्ट दिये हैं.। तीर्थंकर के 1008 लक्षण मूलपाठ में कहे जाते हैं किंतु उनका खुलासा कहीं देखने में नहीं आता है / कुछेक लक्षण मूलपाठ में होते हैं / शरीर के 32 लक्षण :- (1) छत्र (2) ध्वजा (3) यज्ञस्तंभ (4) स्तूप (5) दामिनी-माला (6) कमंडलु (7) कलश (8) वापी (9) स्वस्तिक (10) पताका (11) यव (12) मत्स्य (13) कच्छप (14) प्रधान रथ (15) मकरध्वज(कामदेव) (16) वज्र (17) थाल (18) अंकुश (19) अष्टापद-जुगार खेलने का पट या वस्त्र (20) स्थापनिका-ठवणी (21) देव (22) लक्ष्मी का अभिषेक (23) तोरण (24) पृथ्वी (25) समुद्र (26) श्रेष्ठ भवन (27) श्रेष्ठ पर्वत (28) उत्तम दर्पण (29) क्रीड़ारत हाथी (30) वृषभ (31) सिंह (32) चामर / ये लक्षण हाथ में या पाँव में अथवा अन्य किसी शरीरावयव में रेखा आदि रूप में हो सकते हैं। निबंध-५३ नव निधि का परिचय नौ निधियाँ- नौ निधियाँ चक्रवर्ती के श्री घर में अर्थात् लक्ष्मी भण्डार में उत्पन्न होती है। छ खंड साधन के बाद निधियों का मुख लक्ष्मी भंडार में हो जाता है। वह मुख सुरंग के समान होता है जो निधियों और लक्ष्मी भंडार का मिलान करता है। ये निधियाँ शाश्वत है। पेटी के आकार की है। इनकी लम्बाई 12 योजन, चौड़ाई 9 योजन एवं ऊँचाई आठ योजन की है। यह माप प्रत्येक निधि का है। ये निधियाँ चक्रवर्ती द्वारा तेले की आराधना करने पर अपने अधिष्ठाता देवों क साथ वहाँ चक्रवर्ती की सेवा में उपस्थित हो जाती है / इन शाश्वत / 184
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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