________________ आगम निबंधमाला काव्यशक्ति (49) स्फारवेश (50) सकल भाषाविशेष (51) अभिधानज्ञान (52) आभरण परिधान (53) नृत्य उपचार (54) गृहआचार (55) शाठ्यकरण (56) पर- निराकरण (57) धान्य रंधन (58) केशबंधन (59) वीणादिनाद (60) वितंडावाद (61) अंकविचार (62) लोकव्यवहार (63) अंत्याक्षरी (64) प्रश्न प्रहेलिका। नोट-स्त्री की 64 कलाएँ बतीस शास्त्र में नहीं मिलने से “समुत्थान सूत्र" से ली गई है। समुत्थान सूत्र का नाम नंदीसूत्र की आगम सुची में कालिक श्रुत में दिया गया है / यह सूत्र प्रकाशित उपलब्ध है / यह स्थानकवासी मुहपत्ति परंपरा का मूल पाठ में पुष्टि करने वाला शास्त्र है। इसका प्रकाशन करीबन 50 वर्ष पूर्व पंजाब एवं गुजरात से हुआ निबंध-५२ शरीर वर्णन : शरीर के लक्षण 32 आदि शरीर वर्णन पद्धति :- तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के शरीर का वर्णन औपपातिक सूत्र में हैं / वहाँ वह वर्णन मस्तक से प्रारंभ करके क्रमशः पाँव तक पूर्ण किया है / प्रश्नव्याकरण सूत्र के अध्ययन-४ में युगलिक मनुष्य- मनुष्याणी के शरीर का वर्णन है, वह पाँव से प्रारंभ करके मस्तक तक पूर्ण किया गया है / इससे यह परिज्ञान होता है कि समस्त संसारी जीवो के शरीर वर्णन की पद्धति से तीर्थंकर के शरीर वर्णन की पद्धति भिन्न-अलग होती है / मूर्तियों का वर्णन भी पाँव से प्रारंभ होकर मस्तक तक पूर्ण होता है / जीवाभिगम सूत्र में विजय देव की राजधानी के वर्णन में जिनपडिमा का वर्णन है वहाँ पाँव से प्रारंभ कर मस्तक तक वर्णन पूर्ण किया है / उससे भी स्पष्ट होता है कि वह जिनपडिमा तीर्थंकर की नहीं किंतु जिन शब्द के अनेक अर्थ होने से अन्य किसी की हो सकती है क्यों कि तीर्थंकर का वर्णन मस्तक से प्रारंभ करने की पद्धति शास्त्र में स्वीकारी गई विविध प्रकार के शरीर लक्षण :सामान्यतया मनुष्य 32 लक्षण वाला योग्य कहा जाता है / / 183]