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________________ आगम निबंधमाला में प्रवीण बना व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में कर्तव्य करता हुआ सफलता प्राप्त कर सकता है। 1. लेखन कला 2. गणित 3. चित्र कला 4. नृत्य 5. गीत 6. वाद्य 7. स्वर-राग 8. मृदंग ज्ञान 9. समताल बजाना 10. द्यूत कला 11. किंवदंतिएँ जानना 12. शीघ्र कवित्व 13. शतरंज 14. जलशोधन 15. अन्नसंस्कार 16. जल संस्कार 17-18. गृह निर्माण 19. आर्या छंद बनाना 20. पहेली ज्ञान 21. मागधिका छंद 22. गाथा 23. श्लोक 24. सुगंधित करने की कला 25. मोम प्रयोग कला 26. अलंकार बनाने पहनने की कला 27. तरुणी प्रसाधन कला 28. स्त्री लक्षण 29-41. पुरुष, घोडा, हाथी, बैल, कुर्कुट, मेढा के लक्षण तथा चक्र, छत्र, दंड, तलवार, मणि, काकणि, चर्म(रत्नों) के लक्षण 42-45. चंद्र,सूर्य,राहु ग्रह का विज्ञान ४६.सौभाग्य 47. दुर्भाग्य जानने का ज्ञान 48. रोहिणी प्रज्ञप्ति आदि विद्या 49. मंत्र विज्ञान 50. गुप्त वस्तुओं को जानने की कला 51. प्रत्यक्ष वस्तुओं को जानने की कला 52. ज्योतिष चक्रगति ५३..चिकित्सा विज्ञान 54. व्यूह रचने की कला५५. प्रतिव्यूह 56. सैन्य माप५७. नगर माप५८. मकान माप५९-६१. सेना, नगर, मकान को बनाने की कला'६२. दिव्यास्त्र ज्ञान 63. खड्ग शास्त्र 64. अश्व शिक्षा 65. हस्ति शिक्षा 66. धनुर्वेद 67. चांदी, सोना, मणि, धातु की सिद्धि की कला 68. बाहु, दंड, मुष्टि, अस्थि आदि युद्ध कला 69. क्रीडा, पासा, नालिका खेल 70. पत्रछेद कला 71. धातुको सजीव-निर्जीव करने की कला और पुनः मौलिक रूप में लाना 72. शकुन शास्त्र। निबंध-५१ . .. राणियों की संख्या एवं स्त्री की 64 कलाएँ राणियाँ :- अर्धभरत क्षेत्र में 16 हजार देश होते है और संपूर्ण भरत क्षेत्र में 32 हजार देश होते हैं / वासुदेव के वर्णन में यहाँ पर स्पष्ट 16 हजार राणियाँ कही है। अंतगड़ सूत्र में भी 16000 राणियाँ मूलपाठ में कही है। चक्रवर्ती के 32000 देश की अपेक्षा 32000 राणिया होती है किंतु उनके वर्णन में यहाँ और अन्यत्र 64 हजार राणियाँ कही गई [181 16 कहा है। चक्रवर्ती में यहाँ और अन्य
SR No.004413
Book TitleAgam Nimbandhmala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilokchand Jain
PublisherJainagam Navneet Prakashan Samiti
Publication Year2014
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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