________________ आगम निबंधमाला . . तजकर निंदा झूठ लड़ाई, गले मिलें सब भाई भाई / बहे प्रेम की धार..............प्यारे भारत में (2) मुख से कोई न देवे गाली, बोली बोले इज्जत वाली / मीठी और रसदार................प्यारे भारत में (3) उपर्युक्त गीतिका के रचयिता कौन है ? . उत्तर- श्री चन्दन मुनिजी म. सा. "पंजाबी" प्र.१६ नीच गोत्र कर्मबंध के कारणों में प्रमुख कारण क्या है ? उत्तर पर निंदा एवं स्व-प्रशंसा / . प्र.१७ निन्दा से बचने के क्या उपाय है ? उत्तर- (1) वाणी पर संयम / (2) निंदकों की संगति का त्याग / (3) गुणग्राही बनना / (4) जीवन को सतत सत्य प्रवत्तिमय बनाना / (5) अपने स्वयं के दोष देखते रहना / / प्र.१८ निंदा सुनकर जो व्यक्ति अपना धैर्य खो बैठता है, शास्त्रों की भाषा में उसे क्या कहा गया है ? उत्तर- अज्ञानी (बाल)। प्र.१९ परापवादे मूको भव इन शब्दों का अर्थ क्या है ? उत्तर- पर निंदा करने के लिये मूक बन जाओ। प्र.२० जो व्यक्ति अन्य की निंदा आपसे कर रहा है, वह कल आपकी निंदा किसी और से करेगा। उत्तर- वास्तव में निंदा करने वाला अपनी आदत के कारण ही ए सा करता है / बिना निंदा किए उसे खाना हजम नहीं होता / इसलिये वह सदैव दसरों के अवगुण ही देखता है / सभी व्यक्तियों में कुछ न कुछ तो दोष होता ही है, अत: मौका आने पर वह उसको बढ़ा चढ़ा कर उजागर करता है / अत: किसी की निंदा सुनने में भी रस नहीं लेना चाहिये / प्र.२१ अपनी निंदा को सहन करने की क्षमता किस तरह बढाना चाहिये ? उत्तर- निम्न दो पद्यों का मनन करना चाहिये - 1- निंदा मेरी कोय करो रे, दोष बिन सोच न कोई रे / टेर // / 170