________________ द्रव्य एवं अस्तिकाय की अवधारणा दर्शन जगत् सार्वभौम सत्यों को उद्घाटित करने का प्रयत्न करता है / जीव, जगत् सम्बन्धी अवधारणा की विभिन्नता दर्शनों के पार्थक्य की आधार-भूमि है। विचारधारा में विभेद होने पर भी दार्शनिक क्षेत्र में ऐसे विषय हैं, जिन पर सभी दार्शनिकों ने चिन्तन किया है। उन मुख्य मुद्दों में एक है—द्रव्य-मीमांसा। ____ भारतीय एवं पाश्चात्य प्रायः सभी दार्शनिकों ने जगत् व्याख्या के सन्दर्भ में द्रव्य पर विचार किया है। युनानी दार्शनिक अरस्तु के अनुसार द्रव्य तथा स्वरूप ही दो मौलिक पदार्थ हैं, जिनसे सम्पूर्ण जगत् का निर्माण हुआ है। मेज का द्रव्य है काष्ठ तथा स्वरूप है आकृति / द्रव्य और स्वरूप दोनों अपृथक् हैं / द्रव्य केवल शक्ति है तथा स्वरूप ही वस्तु (actuality ) है / अरस्तु के अनुसार द्रव्य सभी वस्तुओं का मूल कारण है अतः सबका अधिष्ठान या आश्रय है। ... स्पिनोजा के अनुसार ईश्वर ही परम द्रव्य है / द्रव्य स्वतन्त्र, निरपेक्ष एवं अद्वितीय है। वह अपरिछिन्न तथा अपरिमित है / द्रव्य स्वतः सिद्ध है अर्थात् द्रव्य स्वयं अपना प्रमाण है, स्व-संवेद्य है। ___ लॉक के अनुसार गुणों के आश्रय या आधार का नाम द्रव्य है / द्रव्य की सत्ता गुणों के समान प्रत्यक्ष नहीं है / उसकी सत्ता अनुमेय है / लॉक के अनुसार द्रव्य अज्ञेय ___बुद्धिवादी देकार्त के अनुसार द्रव्य वह है जिसकी सत्ता स्वतन्त्र है तथा जिसका ज्ञान भी स्वतन्त्र है / देकार्त सापेक्ष एवं निरपेक्ष भेद से दो द्रव्य मानता है / ईश्वर निरपेक्ष द्रव्य है तथा चित्त और अचित्त सापेक्ष द्रव्य है / चित्त, अचित्त परस्पर तो स्वतन्त्र एवं निरपेक्ष हैं किन्तु दोनों ईश्वर पर आश्रित हैं / देकार्त द्वैतवादी तथा स्पिनोजा अद्वैतवादी ___लाइबनित्स के अनुसार द्रव्य वह नहीं जिसकी सत्ता स्वतन्त्र हो किन्तु द्रव्य उसे कहते हैं जो स्वतन्त्र क्रियाशक्ति से सम्पन्न हो / लाइबनित्स का द्रव्य शक्ति सम्पन्न, सक्रिय एवं परिणामी है / लाइबनित्य के अनुसार चिदणु विश्व की अन्तिम अविभाज्य .'' ईकाई है। - पातञ्जल महाभाष्य में गुणसमुदाय या गुण सन्द्राव को द्रव्य कहा गया है / उसी