________________ जैनयोग में अनुप्रेक्षा / 73 अनुप्रेक्षा ध्यान की पृष्ठभूमि का निर्माण कर देती है। अनुप्रेक्षा का आलम्बन प्राप्त हो जाने पर ध्याता ध्यान में सतत गतिशील बना रहता है। अनुप्रेक्षा/भावना आत्म-सम्मोहन की प्रक्रिया है / अर्हम् की भावना करनेवाले में अर्हत् होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है / ध्येय के साथ तन्मयता होने से ही तद्गुणता प्राप्त होती है / इसलिए आचारांग में कहा गया साधक ध्येय के प्रति दृष्टि नियोजित करे, तन्मय बने, ध्येय को प्रमुख बनाये, उसकी स्मृति में उपस्थित रहे, उसमें दत्तचित्त रहे / ___ बौद्ध एवं पातञ्जल साधना पद्धति में भी भावनाओं का प्रयोग होता है / पातञ्जल योगसूत्र में अनित्य, अशरण आदि भावनाओं का तो उल्लेख प्राप्त नहीं है किन्तु मैत्री, करुणा एवं मुदिता इनका उल्लेख है / महर्षि पतञ्जलि ने चित्त प्रसाद के लिए इन भावनाओं का उल्लेख किया है। उपेक्षा को इन्होंने भावना नहीं माना है। उनका अभिमत है कि पापियों में उपेक्षा करना भावना नहीं है अतः उसमें समाधि नहीं होती ___बौद्ध साहित्य में अनुपश्यना शब्द का प्रयोग हुआ है जो अनुप्रेक्षा के अर्थ को ही अभिव्यक्त करता है। 'अभिधर्म संग्रह में अनित्यानुपश्यना, दुःखानुपश्यना, अनात्मानुपश्यना, अनिमित्तानुपश्यना आदि का उल्लेख प्राप्त है / 'विशुद्धिमग्ग' में ध्यान के विषयों (कर्म-स्थान) के उल्लेख के समय दस प्रकार की अनुस्मृतियों एवं चार ब्रह्म विहार का वर्णन किया है / उनसे अनुप्रेक्षा की आंशिक तुलना हो सकती है। मरण-स्मृति कर्मस्थान में शव को देखकर मरण की भावना पर चित्त को लगाया जाता है जिससे चित्त में जगत् की अनित्यता का भाव उत्पन्न होता है / कायगतानुस्मृति अशौच भावना के सदृश है। मैत्री, करुणा, मुदिता एवं उपेक्षा को बौद्ध दर्शन में ब्रह्मविहार कहा गया है। ये मैत्री आदि ही जैन साहित्य में मैत्री, करुणा आदि भावना के रूप में विख्यात है। आधुनिक चिकित्साक्षेत्र में भी अनुप्रेक्षा का बहुत प्रयोग हो रहा है। मानसिक सन्तुलन बनाये रखने के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। Mind store नामकं प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक Jack Black ने मानसिक सन्तुलन एवं मानसिक फिटनेस के प्रोग्राम में इस पद्धति का बहुत प्रयोग किया है। उनकी पूरी पुस्तक ही इस पद्धति पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालती है। ध्यान के द्वारा ज्ञात सच्चाइयों की व्यावहारिक परिणति अनुप्रेक्षा के प्रयोग से सहजता से हो जाती है / अनुप्रेक्षा, संकल्प-शक्ति, स्वभाव-परिवर्तन, आदत-परिवर्तन एवं व्यक्तित्व-निर्माण का महत्त्वपूर्ण उपक्रम है / चिकित्सा के क्षेत्र में इसका बहुमूल्य योगदान हो सकता है / अनुप्रेक्षा के माध्यम से आधि, व्याधि एवं उपाधि की चिकित्सा