________________ जीव और शरीर के सम्बन्ध सेतु / 29 कर्मों से पहले आत्मा को मानें तो उसमें कर्म लगने का कोई कारण ही नहीं बनता। कर्म को आत्मा से पहले मानें तो जीव के बिना कर्म करेगा कौन? जीव और कर्म के सम्बन्ध का आदि नहीं है। उनका सम्बन्ध अपश्चानुपूर्विक ही है। ___Medical science ने भी शरीर और मन के सम्बन्ध को स्वीकार किया है। वे परस्पर एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं अतः उनमें परस्पर सम्बन्ध है / भाव, शरीर की बीमारी को पैदा करता है / ईर्ष्या से अल्सर इत्यादि रोग हो जाते हैं / शरीर, भाव को प्रभावित करता है। यदि लीवर खराब है तो भाव विकृत हो जाएगा। शरीर और आत्मा में सम्बन्ध है अतएव उनमें अन्तक्रिया होती है। ____ इस प्रकार कहा जा सकता है कि अनेकान्त दृष्टि से जीव और शरीर में भेदाभेद है। जैन दर्शन के अनुसार संसारी आत्मा कथंचित् मूर्त है / वह पुद्गल (कर्म) युक्त है। आश्रव जीव एवं शरीर के सम्बन्ध का सेतु है। संसारी अवस्था में जीव और शरीर को पृथक् नहीं माना जा सकता। संदर्भ 1. स्याद्वाद मञ्जरी, पृ. 138 2. भगवई, 1/312-13 3. भगवई, 13/128