________________ जैनज्ञानमीमांसा का विकास / 259 अक्षपादीय न्यायसूत्र के चार प्रमाणों का तथा उसी के अनुमान सम्बन्धी भेद-प्रभेदों का संग्रह है जो दर्शनान्तरीय अभ्यास का असंदिग्ध प्रमाण है आर्यरक्षित ने अनुयोगद्वार में पंचविध ज्ञान को सम्मुख रखते हुए भी न्याय दर्शन के प्रसिद्ध प्रमाण विभाग को तथा उसकी परिभाषाओं को जैन विचार क्षेत्र में लाने का सर्वप्रथम प्रयत्न किया है। अनुयोगद्वार के प्रारम्भ में ही ज्ञान के पाँच भेद बताये गये हैं। ज्ञान प्रमाण के विवेचन के प्रसंग में ही अनुयोगद्वार के कर्ता पंचज्ञान को ज्ञान प्रमाण के भेदरूप में बता देते किन्तु ऐसे न करके उन्होंने नैयायिकों में प्रसिद्ध चार प्रमाणों को ही ज्ञान प्रमाण के भेद रूप में सूचित किया है। तत्त्वार्थगत ___ज्ञान विकास की चतुर्थ भूमिका तत्त्वार्थ सूत्र एवं उसके स्वोपज्ञ भाष्य में उपलब्ध है। यह विक्रम की तीसरी शताब्दी की कृति है / वाचक ने नियुक्ति प्रतिपादित प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रमाण का उल्लेख किया है तथा अनुयोगद्वार में स्वीकृत न्यायदर्शनीय चतुर्विध प्रमाण विभाग की ओर उदासीनता व्यक्त की है। वाचक के इस विचार का यह प्रभाव पड़ा कि उनके उत्तरवर्ती किसी भी तार्किक ने चतुर्विध प्रमाण को कोई स्थान नहीं दिया यद्यपि आर्यरक्षितसूरि जैसे प्रतिष्ठित अनुयोगधर के द्वारा एक बार जैन श्रुत में स्थान पाने के कारण न्यायदर्शनीय चतुर्विध प्रमाण भगवती आदि परम प्रमाणभूत .माने जाने वाले आगमों में हमेशा के लिए संगृहीत हो गया। वाचक ने मीमांसा आदि दर्शनान्तर में प्रसिद्ध अनुमान, अर्थापत्ति आदि प्रमाणों का समावेश भी मति श्रुत में किया है। ऐसा प्रयल वाचक से पूर्व किसी के द्वारा नहीं हुआ है। सिद्धसेनीय ज्ञान विचारणा सिद्धसेन दिवाकर दार्शनिक तार्किक जगत् के देदीप्यमान उज्ज्वल नक्षत्र है। उन्होंने अपनी तार्किक प्रतिभा के द्वारा ज्ञान के क्षेत्र में विभिन्न विचारणीय मुद्दों को प्रस्तुत किया है। ये विक्रम की पाँचवीं शताब्दी के विद्वान् माने जाते हैं / ज्ञान विचारणा के क्षेत्र में उन्होंने अपूर्व बातें प्रस्तुत की। जैन परम्परा में उनसे पूर्व किसी ने शायद ऐसा सोचा भी नहीं होगा। दिवाकर श्री के ज्ञान मीमांसा के मुख्य मुद्दों को चार भागों में विभक्त किया जा सकता है। 1. मति एवं श्रुतज्ञान का वास्तविक ऐक्य / इनके अनुसार मति एवं श्रुतज्ञान .. अलग-अलग नहीं है / इन्हें दो पृथक् ज्ञान स्वीकार करने की कोई अपेक्षा नहीं है। ..