________________ ज्ञानस्वरूप विमर्श | 251 58. एवंभूतनयवक्तव्यवशात् ज्ञान दर्शन पर्याय परिणतात्मैव ज्ञानं दर्शनं च, तत्स्वभाव्यात् / राजवार्तिक, 15 / 5 / 1 59. जानातिज्ञायतेऽनेन ज्ञप्तिमात्रं वा ज्ञानं। सर्वार्थसिद्धि, 1 / 1 / 6 / 1 60. भूतार्थप्रकाशनं ज्ञानम् अथवा सद्भाव विनिश्चयोपलम्भकं ज्ञानम्। ध, 11 61. विनिर्मल: साधिगम: स्वभावः। परमात्म द्वात्रिंशिका, 24 62. केवलनाणमणंतं जीवसरूवं तयं निरावरणम्। ज्ञानबिन्दु, पृ. 3 63. ज्ञानदर्शनात्मिका चेतना। जैन सि. दीपिका, 2 / 3 64. द्रव्यपर्यायात्मकं वस्तु / प्रमाणमी, 1 / 30 65. जं सामण्णग्गहणं दंसणमेयं विसेसियं णाणं / दोण्ह विणयाण एसो पडिक्कं अत्थपज्जाओ। स.त, 21 66. दव्वढिओ वि होऊण दंसणे पज्जवढिओ होइ। उवसमियाई भावं पडुच्च णाणे उ विवरीय // सम्म. 2 / 2 67. सागारे से नाणे हवइ अणागारे से दंसणे। प्रज्ञापना, 30 314 68. सहआकारैर्ग्राह्यभेदैर्वत्तते यद् ग्राहकं तत् साकारं ज्ञानमित्युच्यते। . अविद्यमान आकार: भेदोग्राह्यस्य अस्येत्यनाकारं दर्शन मुच्यते // सम्म. टी., पृ. 458 69. तत्र ज्ञानं तावदात्मन: स्वपरावभासक: असाधारणो गुण: ज्ञानबिन्दु प्रकरण, पृ. 3 70. सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः। तत्त्वार्थ सूत्र, 1 / 1 . 71. सम्यगवेपरीत्येन विद्यतेऽवगम्यते वस्तु स्वरूपमनयेति सेवित् / स्याद्वादमञ्जरी, 16 / 221 / 28 72. मति-श्रुत-विभंगा मिथ्यात्व साहचर्यादज्ञानम्।। ___जै. सि. दी, 2133 73. अविसेसिया मई-मइनाणं च मइ अन्नाणं च। विसेसिया सम्मद्दिट्ठिस्स मई मइनाणं / ... मिच्छादिट्ठिस्स मई मइअन्नाणं / नंदी, 36