________________ 184 187 195 217 221 234 22 / आर्हती-दृष्टि 27. चतुर्विध सत् की अवधारणा 28. भगवती के सन्दर्भ में सप्तभंगी 29. लोकवाद : विकास का सिद्धांत 30. जैन व्याख्या पद्धति : एक अनुशीलन 31. काल स्वभावादि पंचक 32. कर्म सिद्धान्त और क्षायोपशमिक भाव 33. विभिन्न भारतीय दर्शनों में आश्रव 34. नव तत्त्व : उपयोगितावाद 35. विशेषावश्यक भाष्य : एक परिचय . 36. ज्ञान स्वरूप विमर्श 37. जैनज्ञान मीमांसा का विकास 38. मतिज्ञान एवं श्रुतज्ञान 39. अवधिज्ञान 40. मन : पर्यवज्ञान 41. केवलज्ञान 42. मतिज्ञान एवं श्रुतज्ञान की भेदरेखा 43. इन्द्रिय प्रत्यक्ष प्रक्रिया : जैन एवं बौद्ध परम्परा 44. श्रुतनिश्रित एवं अश्रुतनिश्रित उत्पत्ति एवं विकास , 45. श्रुतानुसारी अश्रुतानुसारी की अवधारणा 46. कालिक एवं उत्कालिक सूत्र 47. धारावाहिक ज्ञान : प्रामाण्य एक चिन्तन 48. प्रामाण्य स्वत: या परत: 49. शरीर में अतीन्द्रिय ज्ञान के स्थान 50. मनोविज्ञान के सन्दर्भ में दस संज्ञाएं 51. परोक्ष प्रमाण की प्रामाणिकता * संदर्भ ग्रन्थ सूची 253 264 285 296 310 225 339 344 348 354 361 366 378