SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 112 / आर्हती-दृष्टि तर्क के अनुसार संग्रह एवं व्यवहार ये दो नय द्रव्यार्थिक एवं ऋजुसूत्र पर्यायार्थिक है। शब्द समभिरूढ़ एवं एवंभूत ऋजुसूत्र की ही शाखा-प्रशाखा है। आचार्य सिद्धसेन दिवाकर ने संग्रह आदि छह नयों को ही स्वीकार किया है। ये नैगम नय को स्वीकार नहीं करते यद्यपि भगवती आदि आगम साहित्य में नैगम आदि सप्त नयों का उल्लेख है। सिद्धसेन दिवाकर का यह मन्तव्य है कि नैगम नय का कोई स्वतन्त्र विषय है ही नहीं अतः उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। 'सव्वणयसमूहम्मि वि णत्थि णओ उभयवायपण्णओ।' नय का विषय वस्तु सामान्य विशेषात्मक है / द्रव्यार्थिक सामान्यग्राही हैं उसकी दृष्टि में सभी वस्तुएं सर्वदा के लिए उत्पत्ति एवं विनाश से रहित है ‘दव्वट्ठियस्स सव्वं सया आगुप्पन्नमविणटुं।' पर्यायास्तिक नय की वक्तव्य वस्तु द्रव्यास्तिक की दृष्टि में अवस्तु ही है। 'तह पज्जववत्थु अवत्थुमेव दव्वट्ठिनयस्स' क्योंकि द्रव्यार्थिक नय वस्तु के सामान्य रूप का ही ग्रहण करता है / इसके विपरीत पर्यायार्थिक नय के अनुसार पदार्थ नियम से उत्पन्न एवं नष्ट ही होते हैं—'उपजंति वियंति य भावा णियमेण पज्जवणयस्स' इसके अनुसार ध्रुवता का अस्तित्व ही नहीं है / सन्मति में कहा गया—'दव्वट्ठियवत्तव्वं अवत्थु णियमेण पज्जवणयस्स' द्रव्यास्तिक का वक्तव्य पर्यायास्तिक की दृष्टि में नियम से अवस्तु है। नय की मिथ्यात्ववादिता वस्तु का स्वरूप द्रव्यपर्यायात्मक है। पर्याय से रहित द्रव्य एवं द्रव्य से रहित पर्याय का अस्तित्व नहीं है / उत्पाद-व्यय एवं धौव्य संयुक्त रूप से द्रव्य का लक्षण दव्वं पज्जवविउयं दव्वविउता य फज्जवा णत्थि। उप्पाय-ट्ठिइ-भंगा हंदि दवियलक्खणं एयं / ऐसी स्थिति में दोनों ही नय पृथक् रूप से वस्तु की व्याख्या करने में असमर्थ हैं दोनों नयों की विषय-वस्तु सम्मिलित होकर ही वस्तु स्वरूप की व्याख्या करने में समर्थ है / निरपेक्ष दोनों नय मिथ्यादृष्टि है—'तम्हा मिच्छद्दिट्ठी पत्तेयं दो विमूलणया।'
SR No.004411
Book TitleAarhati Drushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalpragyashreeji Samni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh Prakashan
Publication Year1998
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy