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________________ - नोआगमभाव मनुष्योंमें धर्माधर्ममीमांसा किया है, इसलिए यह भी सम्भव है कि जो सुसंस्कृत भाषाको न जानता है उसके लिए यह शब्द आया हो / जो कुछ भी हो। इस उल्लेखसे इतना तो स्पष्ट है कि उस कालमें जैन साहित्यमें आर्य और अनार्य इन शब्दोंका व्यवहार होने लगा था / आचार्य कुन्दकुन्दके साहित्यके बाद जैन साहित्यमें तत्त्वार्थसूत्रका स्थान है, क्योंकि तत्त्वार्थसूत्रके रचयिता आचार्य गृद्धपिच्छ इनके शिष्यों से अन्यतम थे / इसके तीसरे अध्यायमें एक सूत्र आया है जिसमें मनुष्योंके आर्य और म्लेच्छ ये दो भेद किये गये हैं / इसको उपलब्ध टीकाओंमें सर्वार्थसिद्धि प्रथम है। उसमें इस सूत्रकी व्याख्या करते हुए बतलाया है कि 'जो गुणों या गुणवालोंके द्वारा माने जाते हैं वे आर्य हैं / उनके दो भेद हैं-ऋद्धिप्राप्त आर्य और ऋद्धिरहित आर्य / ऋद्धिरहित आर्य पाँच प्रकारके हैं-क्षेत्रार्य, जात्यार्य, कार्य चारित्रार्य और दर्शनार्य / ऋद्धिप्राप्त आर्य सात प्रकारके हैं-बुद्धि ऋद्धि प्राप्त आर्य, विक्रिया ऋद्धि प्राप्त आर्य, तपऋद्धि प्राप्त आर्य, बलऋद्धि प्राप्त आर्य, औषध ऋद्धि प्राप्त आर्य, रसऋद्धि प्राप्त आर्य और अक्षीण ऋद्धि प्राप्त आर्य / म्लेच्छ दो प्रकारके हैं-अन्तर्दीपज म्लेच्छ और कर्मभूमिज म्लेच्छ / लवण समुद्र और कालोदधि समुद्र के भीतर स्थित द्वीपोंमें रहनेवाले मनुष्य अन्तीपज म्लेच्छ हैं। ये सब म्लेच्छ होकर भी भोगभूमिज ही होते हैं / तथा शक, यवन, शवर और पुलिन्द आदि कर्मभूमिज म्लेच्छ हैं।' सर्वार्थसिद्धिके बाद तत्त्वार्थसूत्रको अन्य जितनी टीकायें उपलब्ध होती हैं वे सब प्रमुखतासे सर्वार्थसिद्धिमें की गई व्याख्याका ही अनुसरण करती हैं। मात्र तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकमें आर्य और म्लेच्छ मनुष्योंकी व्याख्या इन. शब्दोंमें की गई है-'जिनके उच्चगोत्रका उदय आदि है वे आर्य कहलाते हैं और जिनके नीचगोत्रका उदय आदि है वे म्लेच्छ कहलाते हैं।' लगभग इसी कालमें लिखी गई धवला टोकामें यद्यपि आर्य और म्लेच्छ मनुष्यके स्पष्ट रूपसे उक्त लक्षण तो दृष्टिगोचर नहीं होते, परन्तु वहाँ पर म्लेच्छ होनेके. कारण पृथुक राजाके नीचोगत्रके उदय होनेका निर्देश अवश्य किया है।
SR No.004410
Book TitleVarn Jati aur Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1989
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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