SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 277
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आवश्यक षट्कर्म मीमांसा 205 करनेका नियम न होकर भी प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यानको छोड़कर शेष चार कर्म तो नियमसे करने ही चाहिए, ऐसा हरिवंशपुराणके उल्लेखसे प्रतीत होता है। उसमें बतलाया गया है कि चम्पनगरीमें फाल्गुन मासमें आष्टाह्निकोत्सवके समय वसुदेव और गन्धर्वसेनाने वासुपूज्य जिनकी पूजा करनेके अभिप्रायसे नगरके बाहर प्रस्थान किया और..."जिनालयमें पहुँचकर भगवानकी पूजा प्रारम्भ की। ऐसा करते समय वे सर्व प्रथम दोनों पैरों के मध्य चार अंगुलका अन्तर देकर खड़े हुए। इसके बाद उन्होंने हाथ जोड़कर उपांशु पाठसे ईर्यापथदण्डक पढ़ा। अनन्तर कायोत्सर्ग विधिसे ईर्यापयशुद्धि करके पृथिवी पर बैठकर पञ्चाग नमस्कार किया। अनन्तर उठकर पञ्च नमस्कार मन्त्र और चत्तारि दण्डक पढ़ा। अनन्तर ढाई द्वीपसम्बन्धी एकसौ सत्तर धर्मक्षेत्र सम्बन्धी भूत, वर्तमान और भविष्यत्काल सम्बन्धी तीर्थंकर आदिको नमस्कार करके मैं सामायिक करता हूँ ऐसी प्रतिज्ञा लेकर तथा सर्व सावधयोगका त्याग कर कायसे ममत्व रहित हो शत्रु-मित्र, सुख-दुख, जीवन-मरण, और लाभालाभमें समताभाव धारण कर सत्ताईस बार श्वासोच्छास लेनेमें जितना काल लगता है उतने काल तक कायोत्सर्गभावसे स्थित होकर तथा हाथ जोड़े हुए शिरसे नमस्कार करके श्रवण करने योग्य चौबीस तीर्थङ्करोंकी इस प्रकार स्तुति की--ऋषभ जिनको नमस्कार हो, अजित जिनको नमस्कार हो, सम्भव जिनको नमस्कार हो, निरन्तर अभिनन्दनस्वरूप अभिनन्दन जिनको नमस्कार हो, सुमतिनाथको नमस्कार हो, पद्मप्रभको नमस्कार हो, विश्वके ईश सुपार्श्व जिनको नमस्कार हो, अर्हन्त अवस्थाको प्राप्त चन्द्रप्रभ जिनको नमस्कार हो, पुष्पदन्तको नमस्कार हो, शीतल जिनको नमस्कार हो, जिनका आश्रय लेनेसे प्राणियोंका कल्याण होता है ऐसे अनन्त चतुष्टयरूप लक्ष्मीके स्वामी श्रेयांसनाथको नमस्कार हो, तीन लोकमें पूज्य तथा चम्पानगरीमें जिनका यह महामह हो रहा है ऐसे वासुपूज्य जिनको नमस्कार हो, विमल जिनको नमस्कार हो, अनन्त जिनको नमस्कार हो,
SR No.004410
Book TitleVarn Jati aur Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1989
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy