________________ 262 ___ वर्ण, जाति और धर्म प्रकारको औषधियों को हाथमें लिए हुए तथा नाना प्रकारके आभरण और मालाओंको पहिने हुए ये मुलवीर्य निकायके विद्याधर औषधि नामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। सब ऋतुत्रोंके फूलोंसे सुवासित स्वर्णमय आभरण और मालत्रोंको पहिने हुए ये अन्तर्भूमिचर निकायके विद्याधर भूमिमण्डक नामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। नाना प्रकारके कुण्डलों और नागाङ्गदों तथा आभूषणोंसे सुशोभित ये शंकुक निकायके विद्याधर शंकु नामक स्तम्भके श्राश्रयसे बैठे हैं। मुकुटोंको स्पर्श करनेवाले . मणिकुण्डलोंसे सुशोभित ये कौशिक निकायके विद्याधर कौशिक नामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। ये सब आर्य विद्याधर हैं। इनका मैंने संक्षेपमें कथन किया। हे स्वामिन् ! अब मैं मातङ्ग (चाण्डाल ) निकायके विद्याधरोंका कथन करती हूँ, सुनो / नीले मेघोके समान नील वर्ण तथा नीले वस्त्र और माला पहिने हुए ये मागङ्ग निकायके विद्याधर मातङ्ग नामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। श्मशानसे प्राप्त हुई हड्डी और चमड़ेके श्राभूषण पहिने हुए तथा शरीरमें भस्म पोते हुए ये श्मशाननिलय निकायके विद्याधर श्मशान नामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। नील वैडूर्य रंगके वस्त्र पहिने हुए ये पाण्डुरनिकायके विद्याधर पाण्डुरनामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। कालहिरणके चर्मके वस्त्र और माला पहिने हुए ये कालस्वपाको निकायके विद्याधर कालनामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं / पिङ्गल केशवाले और तप्त सोनेके रंगके आभूषण पहिने हुए ये श्वपाकी निकायके विद्याधर श्वपाकीनामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। पर्णपत्रोंसे आच्छादित मुकुटमें लगी हुई नानाप्रकारकी मालाओंको धारण करनेवाले ये पार्वतेय निकायके विद्याधर पार्वतनामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। वाँसके पत्तोंके आभुषण और सब ऋतुत्रों में उत्पन्न होनेवाले फूलोंकी मालाएं पहिने हुए ये वंशालय निकायके विद्याधर वंशनामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं। महाभुजंगोंसे शोभायमान उत्तम आभूषणोंको पहिने हुए ये शृक्षमूलक निकायके विद्याधर ऋक्षमूलकनामक स्तम्भके आश्रयसे बैठे हैं।'