________________ . बन्धस्वामित्वाख्यस्तृतीयः कर्मग्रन्थः वेयतिएवोघेणं, बंधो जा वायरो हवइ ताव / कोहाइसु चउसोधो, मिच्छाओ जाव 'अनियट्टि // 35 // अण्णाणतिएवोघो, मिच्छासाणेसु नवसु नाणतिए / मणपज्जवे वि सत्तसु ओघं दुसु केवलिस्सावि // 36 / / सामाइयछेएसु, पमत्तमाईसु चउसु ओघो त्ति / परिहारस्स पमत्ते, अपमत्ते सुहुम सट्ठाणे // 37 / / उपसंताइसु अहखाय देसविरयस्स होइ सट्टाणे / 'मिच्छाईसुचउसु, ओघो अस्संजयस्सावि // 38 // चक्खुअचक्खू ओघो, मिच्छाई खीणमोह ओहिस्स / * अजयाइनवसु केवलदसण केवलिदुगे चेव // 39 // छचउसु तिणि तीसु, छण्हं सुका अजोगि अल्लेसा / आहारूणा आइतिलेसी बंधंति सव्वपयडीओ // 40 // . मिच्छा तित्थोणा ता, साणा उण सोलसविहूणा / सुरनरआऊ पणवीस मोत्तु बंधति मीसा उ // 41 // सुरनरआउयसहिया, अविरयसम्मा उ "होति नायव्वा / तित्थयरेण जुया तह, तेऊलेसे 'परं वोच्छं // 42 // क्गिलतिगंनिरयतिगंसुहुमतिगूणं सयं तु एक्कारं / तित्थाहारूणा मिच्छ साण इगितिगनपुचऊणा // 43 // मीसाई पंचगुणा, ओघं बंधति पम्हलेसावि / विगलतिगं निरयतिगं, सुहमतिगेगिंदिथावरायावं // 44 // हिचा सयमट्ठहियं, तित्थाहारदुगहीण मिच्छाओ। संढाइचउक्कोणं, साणा मीसाइ पणगओघं तु // 45 // बंधंति सुक्कलेसा, नारयतिरिसुहुमविगलजाइतिगं / 'इगिथावरायवुजोय वज्जिय सयं तु चउरहियं // 46 // तित्थाहारदुगूणं, एगहियसयं तु बंधही मिच्छा। संढाइचउकोणं, साणा बंधंति 'सगनउइं // 47 // १“अनियट्टी' इत्यपि / 2 "केवलस्सावि // " इत्यपि / 3 मिच्छाईसु चसु' इत्यपि / 4 “पणुवीस मुत्तु" इत्यपि / 5 "हुति' इत्यपि। 6 “परे वुच्छ” इत्यपि / 7 "इक्का" इत्यपि / 8 "इग०" इत्यपि / 6 “सगणवई" इत्यपि।