________________ [ 11 कर्मविपाकाख्यः प्रथमः कर्मग्रन्थः जस्सुदएणं जीवो, 'अमणिट्ठाए उ गच्छइ गईए / सा असुहा विहगगई, उट्टाईणं भवे सा उ // 126 / / तस-बायर-पजत्तं, पत्तेय-थिरं सुभं च सुभगं च / सूसर-आइज-जसं, तसाइदसगं इमे होइ // 130 // आइम्मि तसचउक्कं, थिराइछक्कं तु उवरिम होइ / थावरदसगं अहुणा, थावर-सुहुमं अपज्जत्तं // 131 // होइ तहा साहारं, अथिरं असुभं च दुभगं चेव / दूसरणाइज्जेहि अ, अजसेहिं य बीयदसगं तु // 132 // आइम्मि थावरचऊसुहुमतिगं उवरिमं भवे इत्थ / अथिराइछक्कमुवरि, विवागमेअं अओ भणिमो // 133 / / तसनामुदए जीवो, बेइंदियमाइ जाइ जीवेसु / थावरनामुदए 'पुण, पुढवीमाईसु सो जाइ // 134 // बायरनामुदएणं, बायरकाओ 'उ होइ सो नियमा / सुहुमेण सुहुमकाओ, अंतमुहुत्ताउओ होइ // 135 / / आहारसरीरिंदियपज्जत्तीआणपाणभासमणे / च तारि पंच छप्पि य, एगिदियविगलसन्नीणं / / 136 / / एयासि निष्फत्ती. उदएणं जस्स होइ कम्मस्स / तं. पजत्तं नामं, इयरुदए नत्थि निष्फत्ती // 137. / इक्किक्कयंमि जीवे, इकिक्कं जस्स होइ उदएणं / "ओरालाइसरीरं, तं नाम होइ पत्तेयं // 138 / / जीवाणमणंताणं, .इक्क ओरालियं इह सरीरं / हवइ "हु जस्सुदएणं, तं साहारं 'हवइ नामं // 136 / / दंतहाइथिराणे, अंगावयवाण जस्स उदएणं / निष्फत्ती उ सरीरे, जायइ तं होड थिरनामं // 14 // जीहाभमुहाईणं. अंगावयवाण जस्स उदएणं / निष्फत्ती उ सरीरे. जायइ तं अथिरनामं तु // 141 // . 1 "अमणीहाए य” इति / 2 'थावरसुहुमं च साहारं // 13 // तह होइ अपज्जत्त" इति // 3 "विवागभेओ इमो भणिओ" इति, "विवागभेओ इमो होइ" इति वा पाठः। 4 "जाईसु" इति / 5 "" इति / 6.8 "य" इति / 7 “ओरालियं सरीरं" इति / "भवे” इति ॥१०"जायं" इत्यपि पाठः। .