________________ 46 ] सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणे पढमेहि अणवट्ठियपल्लेहिं एक्केक्काए सलागाए सलागापल्लं भरसु / बीहि सलागापल्लेहिं एक्केक्काए सलागाए पडिसलागापल्लं भरसु / तइएहि पडिसलागापल्लेहिं एक्केकाए सलागाए महासलागापल्लं भरसु / भरित्ता उक्खिप्पंति उफ्खिवित्ता एगा दीवे एगा समुद्दे विक्किरिजंति, जाव कमेण चत्तारि वि पुण्णा / 134 // 138 // पढमतिपल्लुद्धरिया दीवुदही पल्लचउसरिसवा च / सव्वो वि एस रासी रूवूणो परमसंखिज्जं // 135 // 13 // पढमे तिहिं तिहिं पल्लेहिं दीवसमुद्देसु जे पश्खित्ता सरिसवा, ते उद्धरिया, चउपल्लसरिसवा य / “सव्वो वि एस रासो रूवूणो परमसंखेज्जो' एस सरिसवनिचओ रूवृणो परमसंखेज्जयं जेठं / एमेव रूवजुओ परित्ताऽसंखयं जहण्णं // 135 // 139 / / 'तं विवरिय इक्किक्के ठाणे ठावेसु तत्ति रासिं / अराणुराणब्भासे ताण होइ चउत्थं असंखिज्जं // 137 // 140 // जावइया सरिसवा तावइया पत्तेयं पत्तेयं रासीओ ठविति / ताओ कप्पणाए दस दस सरिसवा उ दस रासीओ कीरति / अण्णुण्णब्भासे ताण होइ कोडीसहस्सं तु / / 137 // 14 // तं पुण जहराणजुत्तं श्रावलियाए वि एत्तिथा समया। एकमा बितिचउपंचमे अ अराणुराणअभासे // 138 // 141 // चउत्थं / “एयकमा षितिचउपंचमे य अण्णुण्णअन्भासे", चउत्थस्स अण्णुण्णमासे सत्तमं असंखासंखयं होइ / सत्तमस्स अण्णोण्णब्भासे पढमं परित्ताणंतयं होइ / पढमस्स अण्णोण्णब्भासे चउत्थं जुत्ताणतयं होइ / चउत्थस्स अण्णोण्णमासे सत्तमं अणंताणतयं होइ // 138 // 14 // एत्तियमुत्तं सुने अन्नमयमयो चउत्थयमसंखं / वग्गियमिक्कसि जायइ जहन्नयमसंखयासंखं // 140 // 142 // एत्तियं सुत्ते / अण्णस्स आयरियस्स मएणं चउत्थं असंखेज्जं एक्कवारवग्गियं सत्तमं. असंखासंखयं भव // 140 / / 143 // रूवजुग्रं तं मझ सव्वहि स्वणमाइमुक्कोसं / तं वग्गिउं तिवारं दस पक्खेवे खिवसु एए // 141 // 143 // 1. "इय तिविहं संखेज्जं असंखयमिओ उ जेटुसंखेज्जं रूवजुयं संजायइ जहण्णयारित्तासंखं // 136 // इनि गाथा-ऽन्यत्रास्ति, इह पुनर्वृत्तौ नाधिकृतेति। 2 'सप्तमअसंखपढमच उसप्तमा-ऽणतया य / होति कमा रूवजुया ते मझा रूवूणा पच्छिमुक्कोसा // 13 // इति गाथा-ऽन्यत्र विद्यते, भत्र वृत्तौ नाधिकृतेति।