________________ सङ्ख्यास्वरूपम् बीयं सलागपल्ले खिव सरिसवमेवमेव पुण तंइयं / इय पुणरत्तणवट्ठिअभरणविरेत्रणसलागाहि // 12 // 133 // बीयं सरिसवं सलागपल्ले खिवसु / एवमेव पुणो तइयं पुणरुत्तं अणवद्वियं, सलागा, पुणरुत्तं अणबढ़ियं, सलागा, पुणरुत्तं अणवट्ठियं भरणविरेयणसलागाहिं // 129 // 133 // ... पुराणो सलागपल्लो पुव्वकमागयणवट्ठियो य तयो। सुचित्र सलागपल्लो उक्खिप्पइ खिप्पइ अ पुरो॥१३०॥१३४॥ . सलागपल्लो भरिओ / पुव्वकमेण आगओ अणवढिओ वि भरिओ / जाहे सलागपल्लो सरिसवं न पडिच्छइ, ताहे सो वि य सलागपल्लो उक्खिप्पइ खि पइ य पुरओ जत्थ सलागा न पडिया॥१३०||१३४॥ पुवकमनिटिठए तहिमेगं खिव सरिसवं तझ्यपल्ले / पुवं व निठिअंते अणवट्ठिअपल्लमेव खिव // 131 // 135 // पुवकमनिट्ठिए सलागपल्ले, पडिसलागापल्ले एगा सलागा खिवसु "पुध्वं व निहियते" जत्थ चरिमा सलागा. ठिया (तओ परओ) [तत्तियपमाणं] अणवट्ठियपल्ल [भरित्ता] खिवसु // 131 / / 135 // ... पुण तम्मि निठिए खिव सलागपल्लम्मि सरिसवं इक्कं / अन्नुन्नणवठ्यियो सलागपल्लं पुणो भरह // 132 // 136 // पुवकमेण निट्ठिए, सलागा सलागपल्ले खिवसु / एवं अणवढिओ। सलागपल्लो पुणो भरसु / तदंतं अणवट्ठियपल्लं भरित्ता खिवसु, सलागा खिवसु / पुणो तदंतं अणवट्ठियपल्लं भरित्ता खिवसु / एवं पुणरुत्तं जाव पुण्णं // 132 // 136 / / तेण पुण पडिसलागापल्ले भरियम्मि दोसु अ तमेव / ऊद्धरित्र पुन्वविहिणा सरिसवमेवं खिव चउत्थे // 133 // 137 // तेण सलागापल्लेण कमेण पडिसलागापल्लं भरियं / "दोसु य"त्ति अणवट्ठियपल्लं सलागापल्लं च दो वि भरिया। "उडरिय"त्ति ताहे पडिसलागापल्लं, उक्खिप्पइ पुव्वक्कमेण जत्थ न पडिया सलागा, तस्स परओ खिप्पइ, पुवकमेण निट्ठिए, एगा सलागा खिव चउत्थपल्ले // 133 // 137 // इत्र पढमेहिं बीयं तेहिं तइयं तु तेहि अ चउत्थं / भरणुद्धरणविकिरणं ता कज्जं जा फुडा चउरो // 134 // 138 //