________________ 44 ] मृक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणे चूलियंगं 25, चूलियं 26, सीसपहेलियंगं 27, जाव सीसपहेलियंते गणणासंखाणयं चउणउयं अंकट्ठाणसयं / अओ परं उपमासंखेज्जयं अणेगविहं जाव चउपल्लपरूवणाइ इमं // 123 / / 127 / / जंबुद्दीवपमाणा चउरो जोगुणसहस्समोगाढा / .. रयणपहरयणकडे भिदिय पुट्ठा वइरकंडें // 12 // 128|| जंबुद्दीवपमाणा चत्तारि पल्ला ठविज्जंति / जोयणसहस्सं अवगाहो रयणप्पहाए पढमं रयणकंडं जोयणसहस्मं भिदित्ता रयणप्पहाए बीयं वइरकंडं तस्स उवरितलं पुट्ठा / / 124 / 128 // पल्लाणवट्ठियसलागपडिसलागामहासलागक्खा / सव्वे सवेइअंता उवरिं ससिहा य भरियव्वा // 125 // 12 // अणवट्ठियपल्लासलागापल्लपडिसलागापल्ल३।महासलागापल्लं / / "सम्वे"त्ति, चत्तारि वि जोयणलक्खं आयामविक्खंभेणं तिउणं सविसेसं परिरएणं, जोयणसहस्सं ओगाहेणं, "सवेहय"त्ति, अट्ठजोयणियाए वेइयाए उच्चत्तेणं उवरिं सिहाए समं भारयव्वा / / 125 // 129 // तो कप्पणाइ केणइ सुरेण पढमो धरेत्तु वामकरे। इक्किक्कं दीवुदहीसु सरिसवं खिवित्र णिवियो॥१२६॥१३०॥ तो कप्पणाए केणइ सुरेण पढमं अणवट्ठियपल्लभरित्ता, वामहत्थे धरित्ता, उक्खित्तो / एगा सलागा दीवे, एगा समुद्दे, पुणा एगा सलागा दीवे, एगा समुद्दे, जाव एक्कक्केण निडिओ // 126 // 130 // दीवे जत्थुदहिम्मि य तदंतमेव पढमं व तं भरिउं / पुरो खिव इक्किक्कं दीवुदहिसु निट्ठिए तम्मि॥१२७॥१३॥ दीवे वा समुद्दे वा जत्थ चरिमा सलागा ठिया तं चेव तत्तियपमाणं अणवट्ठिअपल्ल' जोयणसहस्सं ओगाहेणं, अट्ठजोयणाणि उच्चत्तेणं, "तदंतमेव पढमं व तं भरि"ति, तं चेव अणवठ्ठिय पल्लं पढमं भरित्ता पुरओ खिवइ / “एक्केके"त्ति, जत्थ दीवे वा समुद्दे वा चरिमा सलागा ठिया / तओ परओ एगा सलागा दीवे एगा समुद्दे जाव एक्केकेण निट्ठिओ // 127 // 131 // खिवसु सलागापल्ले सरिसवमेगं पुणो तदंतं तं / पुत्वं व भरिसु खिवसु अ पुरयो पुण तम्मि निट्ठविए // 128 // 132 // सलागापल्ले एगंसरिसवं खिव / 'पुणो तदंतं" दीवे वा समुद्देवा जत्थ चरिमा सलागा ठिया पुणो तत्तियपमाणं अवट्ठियपल्ल भरसु खिवसु य पुरओ / जत्थ चरिमा सरिसवा ठिया ताओ पुरओ खिव / तम्मि निठिए // 128 // 132 //