________________ 24] सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणे ___अविरयसम्मद्दिवि देसविरयं पमत्तं अपमत्तं च चउसु वि खाओवसम-उदइय-पारिणामियभावा तिण्णि | अहवा उवसमिय-खाइआण एगयरे छूढे, चत्तारि भावा / "चउपणउवसामग''त्ति, अनियट्टिसुहुमसंपराया उवसामगा, उवसंतमोहो उवसंतो, एएसि भावा चत्तारि पुव्वुत्ता / अहवा पंच, तिन्नि पुव्वुत्ता, उपसमिय-खाइया खिप्पंति; एवं वंच / खीणमोहस्स भावा तिण्णि पुव्वुत्ता; खाइयं चउत्थं / अपुव्यकरणस्स चत्तारि पुव्वुत्ता / सजोगि-अजोगिकेवलीणं खाइय-ओदइय-पारिणामिया तिण्णि भावा / मिच्छसासणसम्मामिच्छस्स तिण्णि पुव्वुत्ता / / 56 / / 63 / / - एएसु गुणट्ठाणगेसु पत्तेयं पत्तेयं उत्तरभावा भेया कस्स कित्तिया तं भण्णइपण अंतराय अन्नाण तिणि अचक्खुचक्खु दस एए / मिच्छे साणे य हवंति मीसए अंतराय पण // 1 // नाणतिगर्दसणतिगं मीस्सं सम्मं च / बरस हवंति / एवं च अविरयम्मि वि नवरं तहि सणं सुद्धं // 2 // .. देसे देसव्विरई तेरसमा तह पमत्तअपमत्ते / मणपज्जवपक्खेवे चउदस अप्पुवकरणे य 3|| वेयगमम्मेण विणा तेरम जा सुहुमसंपराओ त्ति / तेच्चिय उवसमखीणे चरित्तविरहेण बारस उ॥४॥ खाओवममिगमावाण कित्तिणा गुणपए पडुच्च कया ओदइयमावमिहि ते चैव पडुच्च दंसेमि // 5 // .. चउगइयाई इगवीस मिकिछ साणे य होंति वीसं च / मिच्छेण विणा, मिस्से उगुणीसमनाणविरहेण / 6 // . एमेव अविश्यम्मी सुरनारयगइविओगओ देसे / सत्तरस होति ते च्चिय तिरियगइममंजमाभावा / / / पण्णास पमत्तम्मी अपमत्ते आइलेसतिगविरहे / ते निचय बारस सुक्केगलेसओ दस अपुवम्मि // 8 // एवं अनियट्टम्मि वि सुहमे संजलणलोभमणुयगई / अंतिमलेसअसिद्धत्तमावओ जाण चउभावा // 6 // संजलणलोमविरहा उवसंतकवीणकेवलीण तिगं लेसाभावा जाणसु अजोगिणो भावदुगमेव // 10 // अविरयसम्मा उबसंतु जाव उवसमिगखइयगा वा वि / अनियट्टी उवसंतो जाणस उवसामियं चरणं / / 11 / / खीणम्मि खडयसम्मं चरणं च दुगं पि जाण समकालं। नव नव खइगा मावा जाण सजोगे अजोगे य॥१२॥ जीवत्तमभव्वत्तं भव्यत्तं वि हु मुणाहि मिच्छम्मि। साणाई खीणंते दोण्णि अभव्वत्तवज्जाओ // 13 // सज्जोगि अजोगिम्मी जीवत्तं चैव मिच्छमाईणं / ससभावमीलणाओ भावे पुण सन्निवायम्मि // 14 // तिसु ठाणगेसु भावाचत्तारि / अहवा पंच / कहं ? ओदइयो खाओवसमियं पारिणामिओ, एवं तिण्णि भावा ठप्पा। खाइयं सम्मत्तं, एए चत्तारि भावा खीणमोहस्स / भावा 3, खाइयं सम्मत्तं, उवसमियं चरित्त; एए पंच भावा उवसंतस्स सेढीए पडंतस्सवा / भंग 2 / भावा 3, उपसमियं सम्मत्तं, खाइयं चरणं; एस भंगो असंभविओ 3 / भावा तिन्नि, उवसमियं सम्मत्तं, उपसमियं चरणं; एए चत्तारि भावा उवसंतस्स सेढीए पडतरस वा / एए चत्तारि भंगा सम्माइचउसु गाहा-ऽणुसारेण भणियव्वा / / "कम्माइ" आइसद्दाओ अजीवट्ठाणाइ भणिज्जति / धम्माधम्मनभा तिन्नि दव्वदेसप्पएसयो तिविहा / गइठाणवगाहगुणा अरूविणो कालसमयो य // 60 // 6 // 1 प्रथमगाथासत्कोऽयं प्रतिकः /