________________ गुणस्थानेषु मूलोत्तरभावानां धर्मास्तिकायादेर्मूलप्रकृत्युत्कृष्ट जघन्यस्थितिबन्धमानस्य च निरूपणम् [ 25 धम्मत्थिकायदव्वे 1, धम्मत्थिकायदव्वदेसे 2, धम्मत्थिकायदव्वपएसा 3 / अधम्मथिकायदव्वे 1, अधम्मत्थिकायदव्वदेसे 2, अधम्मत्थिकायदव्वपएसा 3 / आगासत्थिकायदव्वे 1, आगासत्थिकायदव्वदेसे 2, आगासत्थिकायदव्वपएसा 3 / धम्मत्थिकाए गइगुणो, अधम्मत्थिकाए ठाणगुणे, आगासत्थिकाए अवगाहगुणे / अरूविया एए नव अजीवट्ठाणा, कालसमओ वि अरूवी, एवं दस / / 60 / 64 / / सो वत्तणाइलिंगो रूविश्रजीवा उ हुंति मे चउरो। खंधा देसपएसा केवलश्रणवो य ते य पुणो // 6 // 65 // कालो वत्तणाइगुणो / रूविणो अजीवा वि चत्तारि / ते य इमे-खंधा, खंधदेसा, खंधपएसा, एगे परमाणू // 61 // 65 // वराणाइगुणा बंधाइकारणं इय अजीवचउदसगं / सव्वे वि हु परिणामे भावे खंधा उदइए वि // 62 // 66 // वण्णाइगुणावण्णगंधरसफासपरिणया चत्तारि वि दव्वा बंधाइकारणं / वह ? भण्णइकम्मजोगत्ताए परिणया खंधा जीवा बंधति बंधेः उदये उदीरणाए य इंतिः सत्ताए पट्टवितिः एवं बंधाइकारणं / एए चउदस वि अजीवट्ठाणा कम्मि य भावे वट्टति?, भण्णइ-सव्वे वि हु पारिणामिए भावे; खंधा उदइए वि / खंधा उदए कहं ?, भण्णइ-खंधस्स अद्धस्स तिभागस्स वा चउत्थभागस्स वा देसविवक्खा / पएसा निविभागा भागा तस्सेव / न विभिन्ना देसपएसविवक्खा / कोहोदए जीवस्स कम्मखंधा उदए / एगे परमाणू न कम्मत्ताए परिणमइ / एवं खंधा ओदइए भावे न सेसा // 62 // 66 // एव पगइबंधो पसंगागउ त्ति भणिओ॥ . इयाणिं ठीबंधो / सो दुविहो, मूलपगइट्ठीबंधो य उत्तरपगइट्टिइबंधो य / एवकेक्को य दुविहो उक्कोसट्ठीबंधो जहण्णट्ठीबंधो य / मूलपयडीट्ठीबंधो भण्णइ मोहे कोडाकोडीउ सत्तरी वीस नामगोयाणं / तीसयराण चउराहं तित्तीसयराइँ ग्राउरस // 63 // 67 // मोहणीयस्स सत्तरिकोडाकोडी उक्कोमो ठीइबंधो / नाणावरणीयदंसणावरणीयअंतराया य वेयणीयस्स य तीसं कोडाकोडी उक्कोसो ठीइबंधो / नामगोयाण य वीसं कोडाको उक्कोसो द्वीइबंधो / आउयस्स तेत्तीसं सागरोवमाइ सक्कोसो ठीइबंधो / / 63 / 167 // मोत्तुमकसाई हस्सा ठिइ वेयणियस्स बारसमहुत्ता। अट्ठ नामगोयाण सेसयाणं मुहत्तंतो // 6 // 68|| .. अकसाई-उवसंतमोहा सजोगकेवली, एए मोत्, जओ एसि इरियावहपञ्चओ सामइगो ठिइबंधो, सेसाणं संपरायगो वि, तओ अकसाई मुत्तूण वेयणीयस्स चारस मुहुत्ताः नामस्स य