SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 556
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उत्तरभावानां, सान्निपातिकभावे संभविता-संभविनभेशानां च, तथा मूलकर्मसु गुणस्थानेषु च [23 मूलभागनां प्ररूपणम् उवसंमियं 1, (खाडअं 2,) खाओवसमियं (3, ओदइ)४, पारिणामियं 5, एवं पंचजोगो, उवसमसेढीए भंगेक्को मणुस्साणं 4 / खाइयं 1, पारिणामियं 2; एवं दुगजोगो भंगेक्को य सिद्धाणं५। खाइयं 1, (ओदइयं२,) पारिणामियं३, एवं तिगजोगे भंगेक्को केवलीण६। एवं एए छभंगा संभविया / भंगतिगे चउसु गईसु भंगा बारस, उवसमसेढीभंगेक्को१, सिद्धभंगेक्को१, केवलीभंगेक्को१एवं सान्निवाइयभावा पण्णरस / भंगा वीसं असंभविया // ते य इमे--उवसमियं खाइयं 1, उपसमियं खाओवसमं२, उवसमियं ओदइयं३, उपसमियं पारिणामियं४, खाइयं खाओवसमियं 5, खइयं ओदइयं 6, खाइयं पारिगामियं, सिद्धभंगो (1); खाओवसमियं ओदइयं 7, खाओवसमियं पारिणामियं 8, ओदइयं पारिण मियं ; दुगजोगे नवभंगा असंभविया / / उवसमियं खाइयं खाओवसमियं 1, उपसमियं खाइअं ओदइयं 2, उवसमियं खाइअं पारिणामियं 3, उपसमिय खापोवसमियं ओदइयं४, उव समियं खाओवसमं. पारिणामियं 5, उवसमियं ओदइयं पारिणामियं 6, खाइथं खाओवसमं, ओदइयं 7, खाइयं खाओवसमं पारिणामियं 8, खाइयं ओदइयं पारिणामियं, केवलीभंगो सुद्धो (2); खाओवसमं ओदइयं पारिणामियं, गइचउक्कभंगो (3); एवं तिगजोगे भंगा अट्ठ असंभविया // उवसमियं खाइयं खाओवसमियं ओदइयं 1, उवसमियं खाइयं खाओवसमियं पारिणामियं 2, उवसमियं खाइयं ओदइयं पारिणामियं 3, उवसमियं खाओवसमियं ओदइयं पारिणामियं, गइचउक्कभंगो (4); खाइयं खाओवसमं ओदइयं पारिणामियं, गइचउकभंगो (5), चउकजोगे भंगा तिन्नि असंभविया / / उवसमियं खाइयं खाओवसमियं ओदइयं पारिणामियं (6), उवसमसेढीभंगो // एवं भंगा 26 / संभविया भंगा 6 / असंभविया भंगा 20 / एवं वीस असंभविया / / 56 // 60 / / दुगजोगो सिद्धाणं केवलिसंसारियाण तिगजोगो / चउजोगजुगं चउसु वि गईसु मणुयाण पणजोगो॥५७॥६१॥ कंठा // 57||61 // मोहस्सेव उवसमो खायोवसमो चउराह घाईणं / उदयक्खयपरिणामा अट्ठगह वि इंति कम्माणं // 58 // 2 // मोहणीयस्स उवसमिओ भावो / / 1 / / नाणावरणं, दंसणावरणं, मोहणीयं, अंतराइयं च एए घाइकम्मा खाओवममिए भावे / ओदइयं, खाइयं, पारिणामियं एए तिण्णि भावा अट्ठण्हं वि होति कम्माणं // 5 // 62 / सम्माइचउसु तिगचउभावा चउपणुवसामगुवसंते / चउ खीणेऽपुब्वे तिन्नि सेसगुणठाणगेगजिए // 51 // 63 //
SR No.004404
Book TitleKarmgranth tatha Sukshmarth Vicharsar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVeershekharvijay
PublisherBharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
Publication Year1974
Total Pages716
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy