________________ 22 ] सूक्ष्मार्थ विचारसारप्रकरणे सम्मचरणाणि पढमे बीए वरनाणदंसणचरित्ता / तह दाणलाभभोगोवभोगविरियाणि सम्मं च // 51 // 55 // उवसमियं चरितं, उवसमियं सम्मत्तं, एए दुगभेया / / दारं / / केवलनाणं 1, केवलदरिसणं 1. खाइयं चरणं 1; दाणलद्धी१, लाहलद्धी१, भोगलद्धी१, उवभोगलद्धी१, वीरियलद्धी१. खाइयसम्मत्तं 1, एए नव खाइयभावा / / 51 // 55 // दारं / / चउनाणऽनाणतिगं दंसणतिगपंचदाणलद्धीयो / सम्मतं चारित्तं च संजमासंजमो तइए // 52 // 56 // नाणचउक्क, अन्नाणतिगं, दंसणतिर्ग, पंचदाणद्धीओ, सम्मत्तं, चरित्तं, देसविरयं च / .. एवं अट्ठारस खाओवसमियभावा // 52 // 56 / / दारं / / चउगइचउकसाया लिंगतिगं लेसछक्कमराणाणां / मिच्छत्तमसिद्धत्तं असंजमो चोत्थभावम्मि // 53 // 57 // गइचउक्कं, कसायचउक्क, वेदतिगं, लेसछ्वक, अण्णाणं, मिच्छत्तं असिद्धत्तं, असंजमो चउत्थभावम्मि / एवं उदइयभावा एगवीसं // 53 // 57 / / दारं / / पंचमगम्मि य भावे जीवाभवत्तभव्वयाईणि / पंचराह वि भावाणां भेया एमेव तेवन्ना // 54 // 58 // जीवत्तं, भव्यत्तं, अभव्वत्त एवं पारिणामिया भावा३ / / दारं / / सन्निवायस्स भेया तेवण्णं सव्वं भावाणं / / 54 / / 58 / / दारं // उदझ्यखायोक्समियपरिणामेहि चउरो गइचउवके / खइयजुएहि वि चउरो तदभावे उवसमजुएहिं // 55 // 56 // उदयं 1, खओवसमियं 2, पारिणामियं 3; एवं तिगजोगो चउसु गईसु भंगो / खाइयं१, ओदइयं 2, खाओवसमियं 3, पारिणामियं 4 एवं चउक्कजोगो चउगईसु भंगो 2 / अहवा उपसमियं१, उदयं२, खाओवसमियं३, पारिणामियं४; एवं चउक्कजोगो चउसु गईसु भंगो 3 // 55 // 56 // इक्विको उवसमसेदिसिद्ध केवलिसु एवमविरुद्धा / पन्नरस सन्निवाइयभेया वीसं असंभविणो // 56 // 60 //