________________ सङ्ख्यास्वरूग्म् [53 बीयं सरिसवं सलागपल्ले खिवसु / एवमेव पुणो तइयं 'इय"त्ति एवं 'पुणरुत्तणव. हियभरणविरेयणसलागाहिं" ति, पुणरुत्तं पुणो पुणो अणवट्ठियभरणविरेयणं तेण जाओ सलागाओ ताहिं सलागाहिं // 129|| पुन्नो मलागपल्लो पुवकमागयणवढिओ य तओ। 'सो चिय सलागपल्लो उक्खिप्पइ खिप्पड य पुरओ॥१३०॥ सलागपल्लो पुनो भरिओ, पुव्वकमेण य आगओ जो अणवट्टियपल्लो सो वि भरिओ, जाहे सलागापल्लो सरिसवं न पडिच्छइ, ताहे सो च्चिय सलागपल्लो उक्खिप्पइ, वामकरे संठविय खिप्पड़ य, तग्गओ सरिसवरासी अणवडियपल्लस्स य पुरओ जत्थ सलागा न पयडिया // 130 // पुवकमनिटिए तहिमेगं खिव सरिसवं तइयपल्ले / पुव्वं व. निट्ठियंते अणवट्टियपल्लमेव खिव // 131 // पुवकमनिट्ठिए सलागपल्ले "तइय"त्ति पडिसलागापल्ले एगा सलागा खिवसु, 'पुव्वं व निहियंते" त्ति जत्थ चरिमा सलागा ठिया सलागापल्लस्स तत्तियपमाणं अणवट्ठियपल्लं भरित्ता खिवसु / / 131 // . पुण तम्मि निट्ठिए खिव सलागपल्लम्मि सरिसवं 'एक्क। अण्णोण्णऽणवडियओ सलागपल्लं पुणो भरसु // 132 // पुण तम्मि अणवट्ठियपल्ले निट्ठिए खिवसु सलागपल्ले एगं सरिसवं / "अण्णोण्णऽणवट्ठिय उ"त्ति, अण्णोणाओ अणवट्ठियपल्लाओ सलागापल्लं सरिसवेहिं पुणो भरसु-बीयवारं पडिपुण्णं कुणसु // 132 // तेण पुण पडिसलागापल्ले भरियम्मि दोसु य तमेव / उद्धरिय पुयविहिणा सरिसवमेगं खिव चउत्थे // 133 // तेण सलागापल्लेण कमेण पडिसलागापल्ले तइयठाणठिए भरियम्मि समाणे "दोसु य" त्ति, अणवट्ठियपल्लसलागापल्लेसु वि भरिएसु, तओ "तमेव" ति पडिसलागापल्लं भरिय, उद्धरिय, वामकरे संठविय, पुवविहिणा=जत्थ न पडिया सलागा तस्स पुरओ निक्खिवणेण / एगं सरिसवं चउत्थे महासलागपल्ले खिवसु // 133 // इय पढमेहिं बीयं तेहि य तइयं तु तेहि य चउत्थं / भरणुद्धरणविकरणं ता कज्जं जाफुडा चउरो // 134 // ... 1 "सुच्चिय' इत्यपि / 2 ‘इक्कं" इत्यपि / 3 “तेहिं तशं तु तेहि अ" इत्यपि /