________________ 52 ] सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणे पल्लाऽणवडिय १सलागर पडिमलागा३महासलागक्खा / सब्वे सवेइयंता उवरि मसिहा य भरियबा // 125 // पल्लसद्दो पत्तेयं संबज्झइ, अणवट्ठियपल्लो 1, सलागपल्लो 2, पडिसलागपल्लो 3, महासलागपल्लो 4, "सव्वे"त्ति चत्तार वि जोयणलक्खं आयामविक्खंभेण तिउणं सविसेसं परिरएणं, जोयणसहरसं ओगाहेणं, "सवेइय"त्ति, अट्ठजोयणियाए वेइयाए उच्चत्तेणं, उवरि मिहा [पउम्] (पुष्णा) भरियव्वा // 125 // तो कप्पणाइ केणइ सुरेण पढमो धरित्त वामकरे। एक्केक्कं दीवुदहीसु सरिम खिविय निविओ // 126 // "तो"त्ति चउपल्लफ्रूवणाणंतरं कप्पणाए केणइ सुरेण पढमं अणवट्ठियपल्लं भरित्ता वामहत्थे धरित्ता ओखित्ता एगा सलागा दीवे एगा समुद्दे पुणो एगा सलागा दीवे एगा सलागा समुद्दे ताव पक्खिविया जाव एको क्काए निविओ / 126 / / / दीवे जत्थुदहिम्मि 'व तदंतमेव पढमं व तं भरियं / पुरओ खिव एक्के दीवुदहिसु निट्टिए तम्मि // 127 // दीवे वा समुद्दे वा जत्थ चरिमा सलागा ठिया तं चेव तत्तियपमाणं अणवट्ठियपल्लं, जोयणसहस्सं ओगाहेणं, अट्ठजोयणाणि उच्चत्तेणं, तदंतमेवनिहाणपत्तदीवसगुद्दपेरंतमेव, पढमं व-जंबुदीवपमाणपढमपल्लमिव भरित्ता "पुरओ खिव ९ववेक"ति जत्थ दीवे या समुद्दे वा चरिमा सलागा ठिया, तओ पुरओ एगा सलागा दीवे एगा सलागा समुद्दे पविखव जाव एक्केकाए निहिओ / 127 // खिवसु सलागा पल्ले सरिसवमेगं पुणो तदंतं तं / पुव्वं व भरसु खिवसु य पुरओ पुण तम्मि निविए // 128 // सलागापल्ले एगं सरिसवं खिव, पुणो तदंतं तं दीवे वा समुद्दे वा जत्थ चरिमा सलागा ठिया पुणो तत्तियपमाणं अणवट्ठियपल्लं, पुव्वं व-पढमवारमिव भरसु सरिसवाणं ख्विसु य पुओ जत्थ चरिमा सरिसवसलागा ठिया तओ पुरओ तओ तम्मि निढविए पल्ले किं 1 // 128 / / बीयं सलागपल्ले खिव सरिसवमेवमेव पुण तइयं / इय पुणरुत्तणवट्ठियभरणविरेयणसलागाहिं // 129 // 1. "य" इत्यपि /