________________ 28] सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणे हरियाः लद्धाणि सागरोवमाणि तिन्नि चत्तारि सत्त भागा य / तहा वीस चत्तारि भागा गुणिया जायं सयं तओ वीसाए भागे हरिए लद्धा पंच सागरसत्तभागाः तओ पुव्वुव्वरिय चउहिं सह नव सव्वे तओ सत्तहिं भागे एगसागरोवमं दो य सत्तभागेण ट्ठिया सव्वं मिलियं चत्तारि सागरोवमाणि दो सागरसत्तभागा 4 / एवं एएण कमेण जत्थ एगो सत्तभागो सत्तभागस्स वीसभागा य अट्ठः तत्थ पंचसागरोवमाणि होति 5 / तहा जत्थ एगो सत्तभागो सत्तभागस्स वीसभागा बारसः तत्थ पंचसागरोवमाणि पंच सत्तभागा 55 / तहा जत्थ एगो सत्तभागो सत्तभागस्स सोलसवीसभागाः तत्थ छ सागरोवमाणि तिनि सत्तभागा / जत्थ पुण एगो सत्तभागो सत्तभागस्स वीसभागा पंच तत्थ चत्तारि सागरोवमाणि तिन्नि भागा, सत्त भागस्य वीसभागा पंच 4 / / जत्थ पुण एगो सत्तभागो दस वीसभागाः तत्थ पंच सागरोवमाणि दोन्नि सत्तभागा दस वीसभागा 53 / / जत्थ पुण एगो सत्तभागो पन्नरस वीसभागाः तत्थ छ सागरोवमाणि एगो सत्तभागो पन्नरस वीसभागा / / ।तहा जत्थ दोणि सत्तभागाः तत्थ सत्त सागरोवमाणि एगो सत्तभागो / तहा जत्थ एगो सत्तभागो तत्थ तिन्नि सागरोवमाणि चत्तारि सत्तभागा 4 / एवं एएसु वि सागरोवमसत्तभागेसु सागरोवमसत्तभागवीसभागेसु वा पन्नासाए सएण सहसेण य गुणिएसु जे रासीओ उप्पज्जंति, जहासंभवं भागे पाडिए; ते गणियगणनकुसलेण सयमेव उप्पाइयव्वा / तहा सुराणं नारयाणं च आउयं जहन्नं दसवरिससहस्साणि / सेसाणं नरतिरियाणं आउयस्स जहन्नो बंधो खुड्डभवो वक्खमाणो / / 74-75 // संपयं वेउव्विछक्कस्स मयंतरेणं तित्थाहाराणं च जहन्नियं ठिई दंसेइसहसगुणेगिदिठिई विउबिछक्के जओ अमनिसुतं। , केसिं च सुराउसमं तित्थं आहारगंतमुहू // 76 // एयाए गाहाए वक्खाणं इह जइ वि सेसाणुक्कोसाओ मिच्छत्तठिईएलद्धं।।७३॥"ति वयणाओ वेउव्वियछक्कस्स सामन्नेण एगिदियाणं ठिइबंधो लब्भइ, तहा वि सो एगिदियठिईबंधो सहस्सगुणोहोति "वेउव्वियकरस" त्ति वेउब्वियएक्कारसगस्स हवइ / कम्हा ? जओ "असनिस' त्ति समुच्छिमेसु तं वेउब्वियएक्कारसं बंधमागच्छइ, न एगिदियाणं / तत्थ देवदुगस्स एगम्मि सत्तभाए सहस्सेण गुणिए सत्तहि भइए लद्धं सयमेगं बिचत्तालं सागरोवमाणं छच्च सत्तभागा य सागरस्स 142 / / / निरयदुगस्स वेउव्वियसत्तगस्स य दोसु सत्तभागेसु सहस्सगुणिए सत्तहिं भइएसु लद्धं एवं चेव दुगुणं 285 / / तहा केसिं च आयारियाणं मएणं / सुराउसमं देवाउतुल्ल दसवरिससहस्स त्ति गभत्थो, तित्थंकरनामगुत्तं वज्झइ / आहारगस्स 'अंतमुहु" ति, अन्तोमुहुत्तं जहनिया ठिई होइ त्ति // 76 //