________________ गुण थानकेषु गतिमार्गणाचतुष्के च नाम्नो बन्धोदयसत्तास्थानानां भङ्गाः संवेधश्च [75 सामन्नकेवलिदुगं उणसी 'पण्णत्तरी दुनि // 404 / / (520) [461] पण पण उदएसु इहं संतढाणाइ वीस जोगिस्स / अज्जोगिकेवलिम्मी पगई नव अट्ठ उदओ उ // 40 // (521) [462] नवउदए दो संता तित्थजुया नव य संत इइ तिन्नि / अट्ठोदयम्मि एए तित्थविहूणा य इय (6) छच्च // 406 // (522) [463] (अट्ठ चउ त्ति दुछक्कं ति य गयं / / 13-14 / / (इति त्रयोदश-चतुर्दशगुणस्थानकयोः) चउतीससंतठाणा उवरयवंधम्मि सव्वउदएसु / भणियाउ विवरणा इह गुणठाणगगाहदुगनामे // 407 // (523) [464] दोछक्कट्ठचउक्कं इच्चाई मग्गणा उ चोदस वि / सूइ[य] इह सत्थयारेण तेसिँ पि करेज्ज अणुसारा / / 408 // (524) [465] दोछक्कऽहुंचकं पणनवएक्कारछक्क बंधुदया / नेरहयाहसु संता ति पंच एक्कारस चउक्कं ।।मूत्रम्-५१॥ (525) जीवभेदा - निरि. | तिरि. | मणुः / देव. बंधठाणा - 2 | 6 8 / 4 उदयठाणा - 5 | 1 | 11 | 6 सत्ताठाणा , 3 . 5 / 11 / 4 निरयगइ दुन्नि बंधा उणतीसा तीस तिरियमणुजोग्गा / भंगा इह पुव्वुत्ता संघयणतहागिगुणियाउ // (526) अठुत्तर छायाला उणतीसे दुन्ह तीसि जोयजुये / तह तीसे तित्थजुये मणुजोगे अट्ठ भंगा उ // (527) ठवणा बंधठाणा - तिरिजोग्गा भं. 4608 | 4608 (6216)| मणु जोग्गा भं० 4608 | 8 (4616) ठवणा 30 / (सव्वे) (13832) 1 "पन्नत्तरी” इति L D. प्रतौ /